गोपेश्वर (चमोली)। चमोली जिले में 64 गांव विस्थापन के लिये सरकार और आपदा प्रबंधन विभाग की ओर टकटकी लगाये हैं। हालांकि अब आपदा प्रबंधन विभाग की ओर से विस्थापन की सूची में शामिल गांवों को भूगर्भीय सर्वेक्षण कर विस्थापन की प्रक्रिया शुरु की गई है। लेकिन विस्थापन के प्रस्तावों पर कार्रवाई का आलम यह है कि जिले के चार आपदा प्रभावित गांवों के प्रस्ताव की फाइलें शासन में धूल फांक रही हैं। ऐसे में आपदा प्रभावितों के भविष्य को लेकर सरकार और सिस्टम की चुस्ती को समझा जा सकता है।

बता दें कि वर्तमान तक जिले के विस्थापन की सूची में शामिल 79 गांवों में से 15 गांवों का पूर्ण विस्थापन हो चुका है। लेकिन 64 गांव वर्तमान में भी सरकार और प्रशासन से विस्थापन की गुहार लगा रहे हैं। ऐसे में इस वर्ष शासन और प्रशासन की ओर से विस्थापन की सूची में शामिल 64 गांवों के भूगर्भीय सर्वेक्षण कर प्रक्रिया शुरु करने की बात कही गई है। जिसके बाद जिले के जोशीमठ ब्लॉक के 12 गांवों को भूगर्भीय सर्वेक्षण कार्य कर लिया गया है। जबकि जिले के अन्य आठ ब्लॉक के 52 आपदा प्रभावित गांवों को वर्तमान तक सर्वेक्षण कार्य शुरु नहीं हो सका है। जिसके चलते ग्रामीण अपने दरकते घरों में सरकार और प्रशासन की कार्रवाई का इंतजार कर रहे हैं। स्थानीय निवासी सतेंद्र सिंह, मनोज कुमार और देवेंद्र का कहना है कि विस्थापन की सूची में शामिल गांवों का विस्थापन न किये जाने से प्रतिवर्ष सरकार को आपदा प्रभावित क्षेत्रों में जहां सुरक्षा और स्थिति सामान्य करने के लिये अतिरिक्त धन खर्च करना पड़ रहा है, वहीं आपदा प्रभावित गांवों में प्रतिवर्ष वर्षाकाल में दुर्घटनाओं की संभावना बनी हुई है। सरकार और प्रशासन को सूचीबद्ध गांवों का प्राथमिकता के आधार पर विस्थापन कर समस्या का स्थाई समाधान करना चाहिए।

जिले में विस्थापन की सूची में शामिल 64 गांवों का भूगर्भीय सर्वेक्षण करवाया जा रहा है। जोशीमठ ब्लॉक के 12 गांवों का सर्वेक्षण कार्य पूर्ण हो चुका है, वहीं अन्य ब्लॉक में भी भू-वैज्ञानिकों की टीम भेजी जा रही है। सर्वेक्षण रिपोर्ट तैयार कर शीघ्र प्रस्ताव शासन को भेजे जाएंगे।
नंद किशोर जोशी, जिला आपदा प्रबंधन अधिकारी, चमोली।

 

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