कर्णप्रयाग (चमोली)। आदि बदरी मंदिर के कपाट पौष माह में बंद रहने के बाद परंपरागत मंत्रोचार के साथ मकर संक्रांति को सुबह ब्रह्ममुहुर्त में साढे चार बजे आम श्रद्धालुओं के लिए खोल दिए गए। श्रृंगार दर्शन के लिए भारी संख्या में श्रद्धालु पहुंचे थे। इसी के साथ एक सप्ताह का श्री आदिबदरी नाथ जी का महाभिषेक समारोह शीत कालीन पर्यटन एवं सांस्कृतिक विकास मेला भी शुरू हुआ जिसका उदघाटन भाजपा प्रदेश कार्यकारिणी के सदस्य समीर मिश्रा  ने किया।

माघ माह के प्रथम श्रृंगार दर्शन करने के लिए ब्रह्ममुहुर्त में ही भक्तों का मंदिर में आना शुरू हो गया था। इस अवसर पर मंदिर को ढाई कुंतल गैंदे के फूलों और ध्वज पताकाओं से से सजाया गया था। कपाट खुलने पर श्रद्धालुओं की संख्या अधिक  होने की वजह से ठिठुरती ठंड में श्रद्धालुओं को घण्टों बाहर प्रांगण में खड़ा रहना पड़ा। ब्रह्ममुहुर्त में पुजारी चक्रधर थपलियाल ने आदिबदरी नाथ जी को सप्तशिंधु के जल स्नान कराया फिर उनका क्रीट, मुकुट, छत्र, पीत वस्त्र, फूलों के हारों और रोली कुमकुम से श्रृंगार किया और फिर श्रद्धालुओं के लिए कपाट खोले उसके बाद भगवान को फल-फूल दूध घृत का भोग लगाया और पंच ज्वाला आरती उतारी। उधर दिन में गढ़वाल राइफल कीर्तन मण्डप में पूर्व जिला पंचायत सदस्य और भाजपा प्रदेश कार्यकारिणी के सदस्य समीर मिश्रा  महाभिषेक समारोह शीतकालीन पर्यटन एवं सांस्कृतिक विकास मेले का उद्घाटन किया और शाल ओढ़ाकर  कथावाचक आचार्य नागेन्द्र तिवारी को  व्यासगादी पर प्रतिष्ठित किया। इस अवसर पर श्री मिश्रा ने कहा कि पहले भी ज्ञान प्राप्ति और शांति की खोज के लिए ऋषि मुनियों ने इन गिरि गह्वरों की शरण ली और आज भी इस भौतिक युग में लोग इसी उद्देश्य से लगातार इस उत्तराखंड  की भूमि में आ रहे हैं। इस प्रकार प्रकृति  और धर्म ये दोनों समृद्धि को पोषित कर रहे हैं। आयोजन समिति  के अध्यक्ष जगदीश बहुगुणा ने श्री मिश्रा को स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया। इस महाभिषेक समारोह में एक सप्ताह तक चलने वाले विष्णु पुराण कथा के प्रथम दिन कथा वाचक आचार्य नागेन्द्र  तिवारी ने  विष्णु पुराण कथा के महात्म्य पर प्रकाश डाला और कहा यह पुराण पाप और पुण्य के अंतर को स्पष्ट कराती है और कहा कि सद्बुद्धि  पुण्य का कार्य कराती और दुर्बुद्धि पाप का कृत्य कराकर दुख और क्लेश का कारण बनती है। इस मौके पर चिंतामणि सेमवाल, प्रताप लूथरा, हरीश ड्यूडी, अरुण मैठाणी, विजयेश नवानी, बीरेंद्र प्रभु,  महासचिव हिमेन्द्र कुंवर, विजय चमोला, नरेश बरमोला, कोषाध्यक्ष  बलवंत भण्डारी, नवीन बहुगुणा आदि मौजूद थे।

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