जोशीमठ (चमोली)। चमोली जिले मेें सरकार के आपदा के बाद पुर्ननिर्माण के कार्यां में तेजी के दावों को मुंह चिढा रहे हैं। जोशीमठ ब्लाक की धौली गंगा नदी में बीते फरवरी माह में आई जल प्रलय से क्षतिग्रस्त हुए विष्णुप्रयाग संगम और पुल का सुधारीकरण कार्य आठ माह बाद भी शुरु नहीं हो सका है। ऐसे में आपदा के बाद तेज पुर्ननिर्माण के सरकारी दावे हवा-हवाई साबित हो रहे हैं।
बता दें कि सात फरवरी को धौली गंगा में आई जल प्रलय से पंच प्रयागों में प्रथम विष्णुप्रयाग संगम तट और जोशीमठ-विष्णुप्रयाग पैदल मार्ग का पुल क्षतिग्रस्त हो गया था। जिसके बाद शासन और जन प्रतिनिधियों ने शीघ्र प्रयाग और पुल के सुधारीकरण की बात कही थी। लेकिन प्रशासन की लापरवाही से अभी तक यहां सुधारीकरण कार्य शुरु नहीं हो सका है। जिससे बदरीनाथ धाम की यात्रा पर आने वाले तीर्थयात्रियों को जहां संगम पर स्नान में दिक्कतें झेलनी पड़ रही हैं, वहीं पुल के क्षतिग्रस्त होने से नर्सिंग मंदिर, गांधी नगर, कम्द, गोरंग गांवों के ग्रामीणों को चारापत्ती के लिये छह किलोमीटर की अतिरिक्त दूरी तय करनी पड़ रही है। साथ ही विष्णुप्रयाग स्थित भगवान नारायण और भैरव मंदिर के पुजारियों को भी अतिरिक्त दूरी तय कर पूजा-अर्चना के लिये आना पड़ रहा है। गंगा आरती समिति के अध्यक्ष नितिन सेमवाल, सूरज सकलानी, दुर्गा प्रसाद सकलानी, चंद्रमोहन नामण, प्रदीप भट्ट और विजय डिमरी का कहना है कि अलकनंदा और धौली के संगम तट और पुल के क्षतिग्रस्त होने से जहां गंगा आरती का आयोजन बंद पड़ा है। वहीं जोशीमठ नगर के लोगों को अंतिम संस्कार के लिये भी दिक्कतें झेलनी पड़ रही हैं।
विष्णु प्रयाग पैदल पुल निर्माण के से प्रस्ताव तैयार कर स्वीकृति के लिये भेजा गया है। जिसकी स्वीकृति मिलते ही पुल का निर्माण कार्य शुरु करवा दिया जाएगा। वहीं संगम तट के सुधारीकरण के लिये अन्य विभाग को जिम्मेदारी सौंपी गई है।
रवि वासव, सहायक अभियंता, लोनिवि, गोपेश्वर।
