पिथौरागढ़। उत्तराखंड सेवा का अधिकार आयोग के तत्वाधान में सेवा का अधिकार अधिनियम-2011 के तहत मंगलवार को विकास भवन सभागार में विभागों के पदाभिहित एवं अपीलीय अधिकारियों के साथ एक दिवसीय कार्यशाला आयोजित की गई। जिसमें आयोग के उप सचिव सुभाष चन्द्र एवं सुन्दर लाल तथा सहायक रजिस्ट्रार एसएम कनवाल एवं जसपाल भाटी ने सेवा का अधिकार अधिनियम की विस्तार से जानकारी दी।

उन्होंने कहा कि जनता की सेवा सुनिश्चित कराने के लिए सेवा का अधिकार अधिनियम लागू किया गया है। समाज में शोषित, वंचित, पिछड़े एवं असहाय लोगों को सेवा का अधिकार अधिनियम के तहत लाभ दिया जाए। उन्होंने कहा कि जनता को सेवा उपलब्ध कराने के लिए राज्य सरकार ने 329 सेवाओं को अधिनियम के दायरे में शामिल किया जा चुका है और आयोग द्वारा 130 अन्य सेवाओं को भी जल्द इसमें शामिल किया जाएगा। उन्होंने कहा कि कार्यालयों में निर्गत किए जाने वाले जाति, आय, आवासीय प्रमाण पत्र, विद्युत आपूर्ति, टेलीफोन बिल, ड्राइविंग लाइसेंस, विधवा, दिव्यांग, परित्यक्ता एवं अन्य सामाजिक पेंशन को शामिल किया गया है। सेवा उपलब्ध कराने के लिए अधिकारियों को जिम्मेवारी सौंपी गई है। उपायुक्त ने कहा कि इस कानून के तहत निर्धारित सेवा अवधि में जनता को सेवा उपलब्ध नहीं कराने की स्थिति में जुर्माना लगाने का प्रावधान भी किया गया है।

उन्होंने ने कहा कि सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 की तरह ही सेवा का अधिकारी अधिनियम भी लागू किया गया है। इस अधिनियम से जनता को लाभ होगा। कानून का पालन किए जाने के लिए इसके उल्लंघन पर जुर्माना का प्रावधान किया गया है। कार्यशाला में अपर जिलाधिकारी फिंचा राम चौहान, एसडीएम सुन्दर सिंह सहित जनपद स्तरीय सभी विभागों के पदाभिहित एवं अपीलीय अधिकारी उपस्थित थे।

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