उत्तरकाशी / यूके (कीर्तिनिधी सजवाण): पर्यटन की दृष्टि से लेकर आत्मचिंतन हेतु, मनमोहक, अपनी सुंदरता की छटा विखेरे कण्डकेश्वर धाम उच्च पर्वत शृंखलाएँ शैलानियों को अपनी ओर आकर्षित कर रही है। यदि उत्तराखण्ड के प्रबुद्धजन ऎसे स्थानों की महत्ता को समझे तो शायद हमारे पहाड़ो से कभी भी पलायन नहीं हो सकता है। दो जनपदों का केन्द्र यह स्थान अपने में वेहद रमणीक है।यहाँ पहुंचकर व्यक्ति जो सुकून महसूस करता है। वो अपने आप मे साक्षत अभूतपूर्व है।
कण्डकेश्वर महाराज जी शिव भगवान के प्रतीकों में से एक है । और क्षेत्र की आस्था के परम पूज्यनीय है। यह स्थान समुद्र तल से ऊंचाई 1350 मीटर से 1800 मीटर के मध्य है। यहाँ के जीवन का मुख्य आधार कृर्षि एवं पशुपालन है। शीतकाल में यहाँ पर हिम आच्छादित चोटियाँ देखने को मिलती है। अप्रैल माह से अक्टूबर माह तक क्षेत्र के लोग यहाँ पर कृर्षि कार्य करने के साथ-साथ अपने पशुओं को भी पालते है।
सभी उतराखंड ग्रामीण पर्यटन तथा वर्तमान परिदृश्य में इसकी उपयोगिता से जुडने का स्थानीय स्तर पर पर्यटन गतिविधियों को विस्तार देकर कुछ उधम करने की आवश्यक्ता है। इसलिए अपने गांवों के महत्व को अनुभव करना ही होगा। मेरा ग्राम मेरा धाम,, इस प्रयास के लिए मूल मंत्र है।