गोपेश्वर(चमोली)। चमोली जिले के पिंडर घाटी में बहने वाली पिंडर नदी का पानी कुमायूं के कोसी नदी में मिलाने के सरकार के प्रस्ताव का क्षेत्रवासियों की ओर से विरोध होना शुरू हो गया हैं। इस संबंध में शुक्रवार को मुख्यमंत्री को एक ज्ञापन उपजिलाधिकारी के माध्यम से भेजा गया हैं।

पिंडर घाटी के उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी भुपाल सिंह गुंसाई, जयसिंह बिष्ट, प्रधान मंजू देवी का कहना हैथ्क  सदियों से पिडारी ग्लेशियर से पिंडर नदी निकल कर देवाल, थराली, नारायणबगड़ होते हुए कर्णप्रयाग ब्लाक के एक बड़े हिस्से से गुजर कर कर्णप्रयाग में अलकनंदा से दोनों नदियों का संगम होता हैं। पिंडारी ग्लेशियर से लेकर कर्णप्रयाग तक पिंडर नदी की वजह से ही दर्जनों गांव बसे हुए हैं। इस नदी की आद्र्रता पर इन गांवों की फसलों का उत्पादन निर्भर करता हैं।

इनका कहना है कि राज्य सरकार की ओर से पिंडर नदी को दूसरी ओर कुमायूं में  कोसी नदी में मिलाने का एक प्रस्ताव पारित किया गया हैं। इसके तहत देवाल ब्लाक के मोपाटा गांव के पास से एक सुरंग के जरिए पिंडर के पानी को कोसी नदी तक लें जाने की बात कही गई हैं। उन्होंने कहा कि पिंडर का पानी कोसी लें जाने का विपरीत प्रभाव इस क्षेत्र पर पडेगा। सीएम से इस प्रस्ताव को तत्काल प्रभाव से नामंजूर करने की मांग करते हुए कहा है कि अगर ऐसा प्रयास किया गया तों पिंडर क्षेत्र की जनता को मजबूरन लामबंद हो कर जनांदोलन के लिए विवश होना पड़ेगा। ज्ञापन देने वालों में उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी भुपाल सिंह गुसाईं, थराली के पूर्व जेष्ठ प्रमुख जयसिंह बिष्ट, पूर्व कनिष्ठ प्रमुख नवीन मिश्रा, प्रधान मंजू देवी, अधिवक्ता विक्रम रावत, पूरन फर्स्वाण, द्वारिका प्रसाद थपलियाल, महिपाल नेगी, जयराम, भुवन हटवाल, मदन मोहन सिंह, देवेंद्र नेगी, विरेंद्र नेगी आदि शामिल थे।

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