गोपेश्वर (चमोली)। जिला मुख्यालय गोपेश्वर के महाविद्यालय के प्रेरणा कोचिंग हॉल में शनिवार को सतपुली महाविद्यालय के प्राचार्य एवं समाजशास्त्री प्रो. संजीव कुमार का आमंत्रित व्याख्यान आयोजित किया गया।  जिसमें उन्होंने समाज विज्ञान में उभरती प्रवृत्तियों पर कहा कि जिज्ञासा ज्ञान का मूल तत्व है। ज्ञान शास्त्र पर अपनी बात को रखते हुए उन्होंने कहा कि ज्ञान का सृजन और समाज के लिए इसकी आवश्यकता अत्यधिक महत्वपूर्ण है। आइंस्टीन का संदर्भ देते हुए कहा कि शोधकार्य एक खोज यात्रा होती है, यह पूर्व निर्धारित नहीं हो सकती।

समाजशास़्त्री प्रो. संजीव कुमार ने भारत में शोध की दशा पर यूजीसी की ओर से गठित समिति के आधार पर कहा कि एक बुरे शोध की तुलना में शोध का ना होना ज्यादा अच्छा है। उन्होंने देशज भाषा और परंपराओं पर शोध करने पर जोर दिया। भारतीय भाषा की उपेक्षा से उपयोगिता के कारण शोध कार्यों में हुए नुकसान को उन्होंने ज्ञान परंपरा के लिए घातक बताया। इस प्रकार से भारतीय परंपरा एवं ज्ञान पर विदेशी विश्वविद्यालयों एवं शोधार्थियों की ओर से कार्य किए जा रहे हैं किंतु भारतीयों की ओर से यह काम नहीं किया जा रहा है। यह विचारणीय है। इसके उपरांत छात्रों की ओर से प्रो. संजीव कुमार से प्रश्न किए गए और उन्होंने संतोषजनक उत्तर दिए। इस अवसर पर प्राचार्य प्रो. आरके गुप्ता, आयोजक सचिव डॉ. अनिल सैनी, डॉ. रचना टम्टा, डॉ. ऋतु चैधरी, डॉ. जगमोहन नेगी, डॉ. मनीष मिश्रा, डॉ. हर्षी खंडूरी, डॉ. भावना मेहरा, डॉ. बीपी देवली, डॉ. बीसीएस नेगी, डॉ एसएस रावत आदि मौजूद थे।

 

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