हरिद्वार। हरकी पौड़ी पर बनने वाले प्रस्तावित कोरिडोर को लेकर धर्मनगरी हरिद्वार के तीर्थ पुरोहित रामकुमार मिश्रा ने एक पत्र सूबे के सीएम पुष्कर सिंह धामी को लिखा। पत्र में धर्मनगरी की पौराणिकता का हवाला एवं पुरोहित समाज के विस्थापन को देखते हुए कोरिडोर के निर्माण के निर्णय पर विचार करने की बात कही है।
मुख्यमंत्री को लिखे पत्र में हरिद्वार के तीर्थ पुरोहित एवं पूर्व गंगा सभा अध्यक्ष रामकुमार मिश्रा ने कहा कि केंद्र व राज्य सरकार काशी विश्वनाथ की तर्ज पर हर की पौड़ी पर भी कोरिडोर के निर्माण की योजना ला रही है। लेकिन दोनों तीर्थ स्थानों की भौगोलिक व क्षेत्रीय परिस्थितियों मेे काफी अंतर है। उन्होंने कहा कि जहां एक ओर काशी विश्वनाथ मंदिर में आने-जाने के लिए बहुत छोटी-छोटी व संकरी गलियां थी, उसके अलावा गंगा घाट से भी आने का कोई साधन नहीं था, जबकि इसके विपरित हर की पौड़ी पर मुख्य मार्ग के अलावा भीमगोड़ा से कांगड़ा मंदिर तक गंगा किनारे भव्य व काफी चौड़ा घाट, पंतद्वीप व रोड़ी बेलवाला, सीसीआर टावर से आने जाने के लिए पुल बने हुए हैं। यही नहीं श्रद्धालुओ की सुविधा एवं बढ़ती भीड़ के दबाव को कम करने के लिए प्रत्येक कुंभ में हरकी पौड़ी पर आवागमन के लिए अस्थाई 4 लोहे के पुल भी बनाए जाते हैं।
पत्र में उन्होंने कहा कि यदि उक्त व्यवस्था भी सरकार और बेहतर बनाना चाहे तो इसमें ही और संशोधन करके वीआईपी घाट के निकट से भी पुल बनाकर हरकी पौड़ी पर आने जाने को ओर अधिक सुरक्षित व दुर्घटना रहित बनाया जा सकता है। इसके साथ ही मालवीय द्वीप घाट को पंतद्वीप घाट से जोड़कर प्लेटफार्म को बढ़ाया जा सकता है। साथ ही भीमगोड़ा से कांगड़ा पुल तक बने घाट की तर्ज पर हर की पौड़ी से मायापुर तक बने हुए भवनों के आगे एक विशाल घाट का निर्माण कराया जा सकता है, जिससे हर की पौड़ी तक आवागमन कारगर व सुरक्षित तो रहेगा ही,साथ ही हरिद्वार धर्मनगरी की पौराणिकता भी बनी रहेगी।
कोरिडोर के निर्माण से कई भवन टूटे तो उजड़ेंगे हजारों लोग
पत्र में जहां एक ओर धर्मनगरी की पौराणिकता बचाने की गुहार लगाई गई, वहीं कोरिडोर के निर्माण की जद में कई भवनों के टूटने की आशंका भी जाहिर की गई। जिससे कई हजार लोगों के उजड़ने का खतरा बताया गया। उन्होंने शंका जाहिर करते हुए कहा कि इसके निर्माण से कई लोगों के उजड़ना निश्चित है। जिससे सबसे अधिक हानि पूर्व काल से हरिद्वार के मूल निवासी पुरोहित समाज को होनी निश्चित है, जिनकी गद्दी प्राचीनकाल से ही हरकी पौड़ी व कुशा घाट पर बनी हुई हैं।