हरिद्वार। मां मंशा देवी कथित ट्रस्ट विवाद की चिंगारी अब आग के शोलों में तब्दील होने के संकेत करने लगी है। वर्तमान में जो हालात कथित ट्रस्ट को लेकर चल रहे हैं, वह कभी भी सड़कों पर आने के साथ न्यायालय तक पहुंच सकते हैं। वर्तमान हालातों को देखते हुए प्रशासन के लिए भी ट्रस्ट समस्या बन सकता है। सर्वविदित है कि मां मंशा देवी मंदिर के नाम से कोई भी ट्रस्ट वर्तमान में सक्रिय नहीं है। बावजूद इसके ट्रस्ट की आड़ में कुछ लोग अपना गोरखधंधा चलाए हुए हैं। अब फर्जी ट्रस्ट की एक कथित ट्रस्टी बिंदू गिरि की मौत के बाद रिक्त हुए स्थान को भरने की कवायद के चलते विवाद उत्पन्न हो गया है। एक पद के लिए एक अनार सौ बीमार वाली कहावत चरितार्थ हो रही है। एक व्यक्ति एक कालेज में गबन करने वाले व्यक्ति को ट्रस्टी बनाने की कवायद मे जुटा हैं तो वहीं बिंदू गिरि की पुत्री सीमा गिरि को भी उनके स्थान पर ट्रस्टी बनाने की जोड़तोड़ की जा रही है। वहीं सीमा गिरि का फर्जी ट्रस्ट का ट्रस्टी बनना नामुमकिन है। यदि ऐसा होता है तो यह विवाद सड़क से आरम्भ होकर न्यायालय तक पहुंच सकता है। जबकि इस विवाद को न्यायालय में कोई पहुंचाना नहीं चाहेगा। यदि विवाद न्यायालय पहुंचा तो सभी को यह साबित करना होगा की ट्रस्ट कौन सा है और किसने बनाया। वर्तमान में तो बिना सूत कपास के लट्ठम लट्ठा वाली कहानी चल रही है। वहीं सूत्र बताते हैं कि सीमा गिरि का ट्रस्टी बनना मुमकिन ही नहीं है। सूत्रों के मुताबिक एक गुप्त समझौते के तहत सीमा गिरि को ट्रस्टी बनाया ही नहीं जा सकता है। यदि बनाया जाता है तो वह समझौते का उल्लंघन होगा और उसे कोर्ट में चैलेंज किया जा सकता है। जबकि सत्यता यह है कि कोर्ट में जाने के लिए कोई भी पक्ष तैयार नहीं होगा। यदि कोई भी पक्ष कोर्ट म्ें गया तो रायता फैलना पक्का है और फिर उस रायते को कोई समेट भी नहीं सकता। सूत्र बताते हैं कि यदि रिक्त हुए फर्जी ट्रस्ट में स्थान को भरना है तो पूराने ट्रस्टी को ही स्थान देना होगा।

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