पहले भी हुए हादसे, क्यों नहीं लिया संज्ञान
जब बुझे कई घरों के चिराग तब आ रही याद
गोपेश्वर (चमोली)। चमोली हादसा का कारक सीवरेज शोध संयंत्र (एसटीपी) सुरक्षा को लेकर सवालों के घेरे में है। नमामि गंगे परियोजना की ओर से चमोली कस्बे में संयंत्र स्थापित तो कर दिया गया लेकिन सुरक्षा के क्या इंतजामात इस सवाल का कोई जबाव देने को तैयार नहीं है। पूरी तरह से लौहे और टीन से निर्मित इस संयंत्र में करंट से बचने के लिए सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम न होना एक चर्चा का विषय बना हुआ है। पहले भी यहां पर दो घटना घटित होने के बाद भी परियोजना की ओर से संज्ञान न लिया जाना और सुरक्षा पर ध्यान न दिया जाना सवाल पैदा कर रहा है। संयंत्र में तैनात कर्मचारी की मौत भी कई सवाल पैदा कर रही है और उसकी मौत की गुत्थी अनसुलझी ही है। हालांकि प्रशासन की ओर से मामले की जांच के आदेश दिये है जिसके बाद मामला सामने आयेगा।
सवाल यह पैदा हो रहा है कि जब यहां तैनात कर्मचारी की रात्रि में मौत हो गई थी तो उसकी सुबह तक परियोजना के लोगों ने सुध क्यों नहीं ली और यदि सुबह वहां करंट फैला था तो जब वहां लोग एकत्र हो रहे थे, उसी समय क्यों नहीं लोगों को करंट लगा। और अचानक ऐसा क्या हुआ कि वहां करंट दौड़ने लगा और इतना बड़ा हादसा हो गया। जिसने कई घरो के चिराग बुझा दिए है जिसकी भरपाई होना नामुकिन है।
पहले लिया होता संज्ञान तो नहीं होता इतना बड़ा हादसा
इस प्लांट में पहले भी दो बार करंट लगने की घटना सामने आयी है एक घटना में एक नेपाली परिवार के तो अंगभंग हो गये थे जबकि दूसरी घटना में चमोली कस्बे में किराये पर रह रहे एक मां-बेटे करंट की चपेट में आ गये थे। जिन्हें उपचार के लिए जिला चिकित्सालय भी लाया गया। स्थानीय लोगों का कहना है कि इस घटना को लेकर उन्होंने प्रशासन और परियोजना प्रबंधकों से शिकायत भी की थी लेकिन उनकी कोई सुनवाई नहीं हुई नतीजन आज इतना बड़ा हादसा सामने आया है। जिसने कई बच्चों से उनके पिता का साया, कई मांओं की गोद सूनी कर दी है।
क्या कहते है लोग
चमोली में नमामि गंगे के तहत बने सीवर ट्रीटमेंट प्लांट में करंट की चपेट में आकर बड़ी संख्या में लोगों का हताहत और घायल होना बेहद दुखद, पीड़ादायक एवं हृदयविदारक है।
हमारी मांग है कि राज्य सरकार मृतकों के आश्रितों को एक करोड़ रुपया मुआवजा एवं एक आश्रित को स्थायी सरकारी नौकरी दे। घायलों के इलाज का समस्त खर्च सरकार वहन करे और पचास लाख रुपया मुआवजा दे। प्लांट में दो बार करंट फैलने की उच्च स्तरीय जांच की जानी चाहिए। नदी किनारे बने इन सीवर प्लांट्स में किसी भी तरह के सुरक्षा मानकों का ख्याल नहीं रखा गया। करंट फैलने के जिम्मेदारों के विरुद्ध लोगों की हत्या का मुकदमा दर्ज किया जाना चाहिए और समस्त मुआवजा राशि की वसूली होनी चाहिए।
इंद्रश मैखुरी, प्रदेश सचिव, भाकपा माले उत्तराखंड।
चमोली हासदा घोर लापरवाही का नतीजा है। यदि परियोजना प्रबंधकों ने पहले हुई दो घटनाओं का संज्ञान लिया होता तो इतना बड़ा हादसा नहीं होता। उन्होंने कहा कि मामले के दोषियों के खिलाफ एफआरआई दर्ज की जानी चाहिए साथ ही मृतकों के परिजनों को कम से कम 25-25 लाख का मुआवजा और उनके परिजनों को सरकारी नौकरी भी दी जाए।
गोविंद सिंह सजवाण, ब्लाॅक अध्यक्ष कांग्रेस पार्टी ब्लाॅक दशोली
क्या कहते है डीएम
सभी पहलुओं को ध्यान में रखते हुए इसकी जांच की जाएगी। इसमें जो बातें सामने आ रही है कि पहले भी इस तरह की घटनाऐं हुई है। उस पर भी विचार किया जाएगा।
हिमांशु खुराना जिलाधिकारी चमोली।