गोपेश्वर (चमोली)। टीएचडीसी के कहने पर हाट गांव के प्रभावितों के आशियानें तोडे जाने की कार्रवाई का टीएचडीसी प्रबंधन को कोई मलाल नहीं है। उनका कहना है कि हाट गांव के विस्थापन पूर्व से ही प्रस्तावित था। परियोजना निर्माण के लिए  जमीन का अधिग्रहण पहले की किया जा चुका था। इसके लिए प्रभावितों को धनराशि दे दी गई थी। जिसमें कुछ लोगों ने अभी तक धनराशि नहीं ली थी उनका भी भुगतान शुक्रवार को उनके खातों में धनराशि डाल कर कर दिया गया है।

गौरतलब है कि बुधवार 22 सितम्बर को टीएचटीसी के दबाव में प्रशासन ने पुलिस बल के साथ पहुंचकर हाट गांव में रह रहे चार परिवारों के आशियानों को ध्वस्त कर दिया था। जिसको लेकर ग्रामीणों में खासा रोष व्याप्त है। ग्रामीणों ने इसको लेकर प्रदर्शन भी किया। शुक्रवार को टीएचडीसी के अधिशासीन निदेशक आरएन सिंह ने कहा कि हाट गांव से 140 परिवारों का विस्थापन होना था जिसमें से 112 परिवार विस्थापन के लिए तय की गई धनराशि ले चुके और अपना भवन स्वयं तोड कर गांव से अन्यत्र विस्थापित हो गये है। इनमें से चार परिवार ही ऐसे है जिन्होंने अभी तक कोई धनराशि नहीं ली है जबकि अन्य सभी ने कुछ न कुछ धनराशि ले ली है। अभी उनका बकाया रहा हुआ है जिसका भुगतान भी किया जा रहा हैै। जिन लोगों ने विस्थापन की राशि नहीं ली है उनसे बार-बार अनुरोध किया जा रहा था लेकिन वे धनराशि नहीं ले रहे थे। और गांव में ही रह रहे  थे ऐसे में परियोजना का कार्य प्रभावित हो रहा था जिस कारण उन्हें प्रशासन से सहयोग लेना पड़ा और भवनों के ध्वस्तीकरण की कार्रवाई करनी पड़ी इसको वे एक प्रक्रिया मानते है। उन्होंने कहा कि जहां तक पौराणिक मंदिरों के रखरखाव की बात है तो टीएचडीसी मंदिरों के रखरखाव के लिए पूरी तरह से जिम्मेदार है और आने वाले समय में उन पौराणिक मंदिरों को भव्यता दी जाएगी। साथ जहां पर हाट गांव का विस्थापन होना है उस के लिए सड़क प्रस्तावित है जिसका निर्माण कार्य भी करवाया जाएगा। इस मौके पर टीएचडीसी कंपनी के एजी अनिरूद्ध विश्नोई, डिप्टी जीएम जीतेंद्र सिंह बिष्ट, संदीप गुप्ता, एसके शर्मा आदि मौजूद थे।

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