नई दिल्ली। छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री बदले जाने और विधायकों के शक्ति परीक्षण की कवायदों के बीच राज्य के मंत्री और विधायकगणों का कहना है कि वे पार्टी के एक अनुशासित सिपाही है। उनके लिए पार्टी आलाकमान का फैसला ही सर्वमान्य है। जब लोगों से यह जानने की कोशिश की गई कि राज्य में मुख्यमंत्री बदले जाने की अटकलें चल रही है और यहां शक्ति परीक्षण के लिए भी कुछ लीग आए थे, ऐसे में आप लोग मुख्यमंत्री बघेल, मंत्री सिंहदेव या फिर पार्टी आलाकमान में से किसके साथ हैं? इस पर सभी का कहना है कि वे पार्टी आलाकमान के साथ हैं।

गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार बनने पर मुख्यमंत्री पद के लिए काफी घमासान शुरू हो गया था। कांग्रेस के विश्वस्त सूत्रों का कहना है कि तब भूपेश बघेल को ढाई साल तक मुख्यमंत्री पद पर रहने के लिए राजी करते हुए ताजपोशी कर दी गई थी। अब जब ढाई साल बीत गए तो यह मामला फिर से गरमा गया और टी.एस.सिंहदेव ने मुख्यमंत्री बनने के लिए लाबिंग शुरू कर दी। यहां तक कि विधायकों की परेड भी करवाई गई। दिल्ली जाने वालों में अधिकांश नए चुने गए विधायकगण प्रमुख रूप से थे।

छतीसगढ़ में कुल 11 मंत्री है जिनमें से ताम्रध्वज साहू, सिंहदेव, जयसिंह अग्रवाल, डॉ प्रेमसाय सिंह, उमेश पटेल और रुद्र गुरु दिल्ली नहीं गए थे। इसके अलावा सत्यनारायण शर्मा व धनेंद्र साहू भी दिल्ली जाने वालों में शामिल नहीं थे। हालांकि मंत्रियों और विधायकों ने बघेल और सिंहदेव की बजाए पार्टी आलाकमान में ही अपनी आस्था जताई और यह भी कहा कि सिर्फ हमी लोग नहीं बल्कि बघेल ने भी तो यही कहा है कि पार्टी आलाकमान का जो आदेश होगा वे उसी का सम्मान करेंगे। इनमें प्रमुख रूप से सत्यनारायण शर्मा, विकास उपाध्याय, वृहस्पति सिंह, लखेश्वर बघेल, विनय जायसवाल, पारसनाथ रजवाड़े, केके ध्रुव, राम कुमार यादव व देवेंद्र बहादुर सिंह आदि प्रमुख हैं।

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