गोविंदघाट (चमोली)। सिखों के पवित्र धाम हेमकुंड साहिब और लोकपाल के कपाट सोमवार को शीतकाल के लिए बंर कर दिए गये है। हेमकुंड साहिब के कपाट बंद होने के दौरान करीब 1500 सिख श्रद्वालुओं का जत्था अंतिम अरदास के साक्षी रहे।

हेमकुंड साहिब के कपाट बंद होने की प्रक्रिया सोमवार सुबह से शुरू हो गई थी। सुबह 10 बजे पहली अरदास हुई। इसके बाद 11ः25 बजे तक सुखमणी का पाठ और शब्द कीर्तन हुआ। इसके बाद रागी जत्थे की ओर से दरबार हॉल में उपस्थित संगतों को गुरवाणी कीर्तन सुनाकर निहाल किया। इस वर्ष की यात्रा की समाप्ति की अरदास करके बैंड-बाजों की धुनों के साथ धूमधाम से पंच प्यारों की अगुवाई में गुरू साहिब जी के स्वरूप को सुखासन स्थान पर सुशोभित कर दिया गया। इस अवसर पर भारतीय सेना की 418 लाईट इंजीनियर का दल भी मौजूद रहा। पिछले दो दिनों से हो रही बर्फबार के बावजूद संगतों के मन की श्रद्धा और उत्साह में किसी भी प्रकारी की कमी नही थी। गुरूद्वारा श्री हेमकुण्ड साहिब मैनेजमैंट ट्रस्ट की ओर से यात्रा को सुखमय ढंग से संपूर्ण सहयोग देकर सफल बनाने के लिए सभी संगतों, शासन-प्रशासन एवं स्थानीय लोगों का अभार प्रकट करते हुए धन्यवाद दिया गया। हेमकुण्ड साहिब की यात्रा इस वर्ष 22 मई को प्रारंभ हुई थी। इस वर्ष 2.47 लाख श्रद्वालुओं ने रजिस्ट्रेशन कराके श्री हेमकुण्ड यात्रा का सौभाग्य प्राप्त किया। इसके साथ ही उच्च हिमालयी क्षेत्र में स्थित हिंदुओं के पवित्र तीर्थ स्थल लक्ष्मण मंदिर-लोकपाल के कपाट भी पूरे विधि विधान के साथ शीतकाल के लिए बंद कर दिए गए है।

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