• अब तक चमोली जिले के विभिन्न स्थानों पर लगा चुकी पचास हजार से अधिक पौध

गोपेश्वर (चमोली)। पर्यावरण संरक्षण को लेकर जहां कई संस्थाओं के साथ ही समाजसेवी कार्य कर रहे है वहीं चमोली जिले के थिरपाक गांव की रहने वाली लक्ष्मी रावत महिलाओं के साथ मिलकर पर्यावरण को बचाने के लिए निरंतर कार्य कर रही है। लक्ष्मी अब तक स्वयं सहायता समूहों की महिलाओं के साथ मिलकर जिले के विभिन्न स्थानों पर 50 हजार से अधिक पौध रोपित कर चुकी है।

चमोली जिला पहले से ही पर्यावरण संरक्षण के लिए प्रदेश ही नहीं देश में भी अपनी पहचान बनाये हुए है। वनों को बचाने का चिपको आंदोलन हो या पर्यावरण संरक्षण का कोई अन्य आंदोलन। चमोली जिला हर बार अग्रणीय भूमिका में रहा है। यही वहज है कि यहां का जनमानस पर्यावरण को लेकर काफी संवेदनशील है और पर्यावरण को बचाने के लिए हर संभव प्रयास करता रहता है। इसी कड़ी में थिरपाक गांव की लक्ष्मी रावत भी महिलाओं के साथ मिलकर पर्यावरण को बचाने के लिए उन्हें जागरूक करने के साथ ही पौधरोपण कर उन्हें संरक्षित करने के लिए भी प्रयासरत है।

लक्ष्मी रावत कहती है कि जंगल सही मायने में महिलाओं का मायका होता है। जहां से उसका सबसे ज्यादा जुडाव होता है। महिलाऐं घास काटने से लेकर पेड़ से पत्तों को निकालने से पहले उसे हाथ अवश्य जोड़ती है जो हमारी परंपरा में भी है। इसके पीछे उसका मकसद सिर्फ यह होता है कि पेड़ पौधों को नाराज नहीं करना चाहती है और दोबारा भी वहां आकर खुशी से चारापत्ति ले जा सके। उनका कहना है कि उन्हें पर्यावरण संरक्षण की प्रेरणा अपने माता-पिता से मिली। जो भोर होते ही चारापत्ति लेने के लिए जंगल चले जाते थे और देर सांय तक घर लौटते थे। इससे उसके मन में अपने आसपास चारापत्ति के साथ ही अन्य पौधों को रोपित करने की बात जगी और उसने गांव की महिलाओं के साथ इस कार्य को आरंभ किया। आज उनकी मुहिम कामयाब हो रही है और महिलाऐं इस कार्य में जुटी हुई है।

लक्ष्मी बताती है कि वे पर्यावरण संरक्षण के साथ ही महिलाओं को स्वरोजगार की दिशा में भी प्रशिक्षण दे रही है जिसमें पशुपालन, मौन पालन, सब्जी उत्पादन आदि शामिल है। इससे महिलाओं की आर्थिकी में भी सुधार हो रहा है। और सरकार की मंशा के अनुसार महिला सशक्तिकरण की दिशा में भी आगे बढ़ रही है। उन्होंने बताया कि पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में कार्य करने में नंदाकिनी स्वयं सहायता समूह और वन विभाग ने उन्हें काफी सहयोग दिया है। वे बताती है कि इस कार्य को करने में मुश्किले भी आती है लेकिन उनके परिवार का उन्हें काफी सहयोग मिलता है। उनका यह भी कहना है कि पर्यावरण को बचाने में सबसे ज्यादा मददगार महिलाऐं ही हो सकती है इसलिए महिलाओं को इसके लिए आगे आना चाहिए ताकि हम अपने पर्यावरण को बचा सके।

 

 

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