श्रीनगर गढ़वाल। हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय श्रीनगर गढ़वाल का आठवां दीक्षांत समारोह मंगलवार को संपन्न हो गया है। कोविड-19 आपदा के दिशा-निर्देशों के अनुरूप दीक्षांत समारोह का आयोजन ऑनलाइन माध्यम से किया गया, जबकि विश्वविद्यालय के कुछ अधिकारी सामान्य रूप से भी विश्वविद्यालय के प्रेक्षागृह से आयोजन में सम्मिलित हुए। दीक्षांत समारोह में 39 विषयों में सर्वाधिक अंक प्राप्त करने वाले 59 छात्रों को स्वर्ण पदक से नवाजा गया।
दीक्षांत समारोह में 72 छात्रों को पीएचडी तथा 83 छात्रों को स्नातकोत्तर की उपाधि प्रदान की गयी, इनके अलावा 39 विषयों में सर्वाधिक अंक प्राप्त करने वाले छात्रों को ५59 स्वर्ण पदक भी प्रदान किए गए। समारोह का सीधा प्रसारण सोशल मीडिया के माध्यम से किया गया। भारत सरकार के माननीय शिक्षा मंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक, समारोह के मुख्य अतिथि तथा अध्यक्षता विश्वविद्यालय के कुलाधिपति डॉ. योगेन्द्र नारायण ने की। कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के अध्यक्ष प्रो. डीपी सिंह थे। इस अवसर पर स्वागत संबोधन में विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. अन्नपूर्णा नौटियाल ने दीक्षांत समारोह के मुख्य अतिथि, विशिष्ट अतिथि, कुलाधिपति, हिमालयी क्षेत्र के सभी कुलपतियों, नीति आयोग के प्रतिनिधि सहित समारोह में शिरकत कर रहे सभी अतिथियों एवं प्रतिभागियों का स्वागत किया। कुलपति ने बताया कि एक दिसंबर 1973 को गढ़वाल विश्वविद्यालय की स्थापना हुई थी, और इस वर्ष कोविड-19 वैश्विक महामारी के बावजूद एक शैक्षणिक भावना को बढ़ावा देने के लिए विश्वविद्यालय ने इसे ऑनलाइन माध्यम के जरिये दीक्षांत समारोह के रूप में मानाने का फैसला लिया। इसके लिए उन्होंने विश्वविद्यालय के सभी सदस्यों और अतिथियों का आभार व्यक्त किया।
कुलपति ने कहा कि विभिन्न भौगोलिक विषमताओं और संसाधनों की कमियों के बावजूद विश्वविद्यालय ने कोविड-19 से उत्पन्न असहजता को ऑनलाइन माध्यमों के प्रयोग से सफलता पूर्वक एक अवसर के रूप में परिवर्तित किया। इस दौरान विश्वविद्यालय ने अनेक राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय गोष्ठियों एवं सेमिनारों का आयोजन किया। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 150 वीं जन्मतिथि पर विश्वविद्यालय ने दुनियां के अनेकों विश्वविद्यालयों के साथ मिलकर अनेक गोष्ठियों का आयोजन किया। उन्होंने बताया की वर्तमान में विश्वविद्यालय के तीनों परिसरों में 11 स्कूलों में 39 विभागों का संचालन हो रहा है तथा विश्वविद्यालय नयी शिक्षा नीति के अनुरूप पाठ्यक्रमों की रुपरेखा विकसित करने की तैयारी कर रहा है।
समारोह के विशिष्ट अतिथि तथा विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के अध्यक्ष डॉ. धीरेन्द्र प्रताप सिंह ने विश्वविद्यालय तथा समारोह में प्रतिभाग करने वाले विश्वविद्यालय की विभिन्न समितियों के सदस्यों, प्रतिभागियों एवं उनके अभिवावकों को इस आयोजन के लिए बधाई दी। उन्होंने कहा इस दीक्षांत समारोह सभी उपाधि प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों के लिए एक महत्वपूर्ण दिन होता है उन्हें इसके पश्चात् अपने अर्जित ज्ञान का प्रयोग अपने समाज की बेहतरी के लिए करना है। उन्होंने विद्यार्थियों के उज्जवल भविष्य की कामना करते हुए उन्हें बधाई दी।
भारत सरकार के शिक्षा मंत्री तथा समरोह के मुख्य अतिथि रमेश पोखरियाल निशंक ने कहा कि स्थापना के 47वें वर्ष में प्रवेश करते हुए इस विश्वविद्यालय ने कठिन चुनौतियों के बीच भी प्रगति की अपनी यात्रानिरंतर जारी रखी है, परिणामस्वरूप 2009 में इसे केन्द्रीय विश्वविद्यालय का दर्जा प्राप्त हुआ। उन्होंने विश्वविद्यालय में नीति आयोग, नई दिल्ली द्वारा भारतीय हिमालयन केन्द्रीय विश्वविद्यालय कंसोर्टियम की स्थापना पर प्रसन्नता जाहिर की कि और आशा व्यक्त की कि कंसोर्टियम पर्वतीय क्षेत्रो में महिला श्रमिको के आर्थिक प्रभावों का संगणन एवं मूल्यांकन; विपणन के विशेष सन्दर्भों में हिमालयी राज्यों की कृषि-पारिस्थितिकी, पर्वतीय क्षेत्रों में किफायती एवं पर्यावरण के अनुकूल पर्यटन का विकास; पर्वतीय क्षेत्रो से पलायन नियंत्रण हेतुरोजगार के अवसरों का सृजन तथा जल संरक्षण एवं संवर्धन की रणनीति के क्षेत्र के अध्ययन में अपनी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
केंद्रीय शिक्षा मंत्री ने कहा कि वह अपने को सौभाग्यशाली समझते हैं की वह इस विश्वविद्यालय के भूतपूर्व छात्र रहे हैं और उन्हें इस विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में आने का अवसर मिला है। उन्होंने बताया की उनकी बहुत सी अनूठी यादें इस विश्वविद्यालय से जुड़ी हैं तथा छात्र से मुख्य अतिथि तक का उनका सफर अनेकों उतार-चढ़ाव व चुनौतियों भरा रहा है। उन्होंने कहा किसी भी संस्थान को मजबूती देने में और विस्तार देने में पूर्व छात्रों का योगदान होता है। पूर्व छात्र अपनी जड़ों को छोड़ते नहीं हैं और तन, मन, धन से संस्थान की सेवा में हमेशा अग्रसर रहते हैं। देने की प्रवृत्ति से संस्थान और संस्थानों से समाज व राष्ट्र को मजबूती मिलती है। उन्होंने छात्रों से कहा विद्या दान एवं वित्त दान और समय दान, जो भी आप सक्षम हों अवश्य करें। यही हमारे देश की संस्कृति भी है और परंपरा भी।
विश्वविद्यालय के कुलाधिपति डॉ. योगेंद्र नारायण ने समारोह में प्रतिभाग करने वाले सभी लोगों का धन्यवाद किया, उन्होंने उन्होंने विशेष रूप से भारत सरकार के शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक का धन्यवाद किया। उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति के जनक हैं और यह शिक्षा नीति पूरे देश की शिक्षा पद्धति को बदल देने वाली है। उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति का फलक बहुत व्यापक है और यह प्राइमरी शिक्षा से लेकर उच्च शिक्षा स्तर तक कई नए एवं महत्वपूर्ण विचारों को समाहित किए हुई है जोकि उच्च कुशल नागरिक और नवाचार को प्रोत्साहित करने वाली है। हम सभी का कर्तव्य है इसके क्रियान्वयन को सुनिश्चित करें। इस अवसर पर दीक्षांत समारोह के संयोजक प्रो. आरसी रमोला, ऑनलाइन के संयोजक प्रो. वाईपी रेहमानी, मीडिया समिति के संयोजक प्रो. एमएम सेमवाल, प्रो. आरसी भट्ट, डा. दीपक राणा, महेश डोभाल, नरेश खंडूरी, राजेन्दर प्रसाद, प्रो. आरपीएस नेगी, प्रो. इंदु खंडूरी, डॉ. प्रीतम सिंह नेगी, डॉ. नरेश राणा, डॉ. नरेश कुमार, प्रो. अरूण बहुगुणा, श्वेता वर्मा, प्रदीप मल्ल, हिमशिखा गुसाईं, कुलसचिव प्रो. एनएस पंवार आदि मौजूद थे।