गोपेश्वर (चमोली)। चमोली जिले के जोशीमठ नगर क्षेत्र में हो रहे भूधंसाव के चलते यहां के प्रभावितों को पीपलकोटी के सेमलडाला मैदान में विस्थापित किये जाने की योजना सरकार की ओर से चल रही है। जिसका बंड विकास संगठन की ओर से विरोध करते हुए बुधवार को जिलाधिकारी को ज्ञापन सौंपा है।
बंड विकास संगठन के अध्यक्ष शंभू प्रसाद सती और महामंत्री हरिदर्शन सिंह रावत का कहना है कि क्षेत्रवासियों को समाचार पत्रों के माध्यम से ज्ञात हुआ है कि बंड क्षेत्र पीपलकोटी सेमलडाला मैदान में जोशीमठ प्रभावितों को विस्थापित किये जाने की प्रशासन की मनसा है जबकि यह स्थान पूरे क्षेत्र का एक मात्र ऐसा स्थान है, जहां पर क्षेत्र की कई गतिविधियां संचालित होती रहती है। जिसमें प्रमुख रूप से ब्लॉक स्तर, जिला स्तर, राज्य स्तर तक के खेलकूद प्रतियोगिताओं के साथ ही राजकीय मेला बण्ड विकास औद्योगिक पर्यटन एवं किसान मेले का आयोजन भी वर्ष 1986 से चला आ रहा है। उनका यह भी कहना कि समय-समय पर कई सामाजिक, सांस्कृतिक, धार्मिक, राजनैतिक गतिविधियां, स्वास्थ्य और बहुउद्देशीय शिविरों का भी आयोजन यहां पर होता रहता है। आपदा विपदा के समय भी इस मैदान में हैलीकाप्टर उतारे जाने की भी सुविधा है। उनका यह भी कहना है कि लगभग 45-50 वर्ष पूर्व स्थानीय काश्तकारों से यह कृषि योग्य भूमि, सिंचाई विभाग ने विष्णुप्रयाग परियोजना के लिए अधिग्रहित की गई थी। जबकि बाद मे यह परियोजना जय प्रकाश ग्रुप को स्थानान्तरित हो गई तथा तब से लेकर आज तक इस भूमि मे स्थानीय लोगों का कब्जा चला आ रहा है तथा समय-समय पर अनेकों प्रकार की गति विधियां भी संचालित की जाती रहती है।
उनका यह भी कहना है कि भूमि अधिग्रहण अधिनियम के तहत जिस प्रयोजन के लिए भूमि दी जाती है, यदि वह भूमि उस परियोजन के लिए नहीं लाई जाती है तो भूमि काश्तकारों को वापस किये जाने का प्रावधान है। बण्ड क्षेत्र के अंतर्गत भी कई गांव भूधंसाव की जद में है, जिसमें प्रमुख रूप से देवस्थान तोक (गडोरा) में राजकीय इण्टर कॉलेज गडोरा की भूमि, भवन के साथ ही कई सरकारी भवनों और निजी आवासीय भवन भी भूस्खलन कारण क्षतिग्रस्त हो गये है। उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि यदि प्रशासन की ओर से यदि बण्ड क्षेत्र पीपलकोटी के किसी भी भूमि पर जबरदस्ती अधिग्रहण की जाती है तो क्षेत्रवासियों को मजबूरन आन्दोलन के साथ ही न्यायालय के शरण में जाने को बाध्य होना पडेगा जिसकी सम्पूर्ण जिम्मेदारी शासन प्रशासन की रहेगी।