गोपेश्वर (चमोली)। पंच बदरी में से एक भविष्य बदरी मंदिर जीर्णोद्धार कार्यों का शुक्रवार को बद्रीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति (बीकेटीसी) के अध्यक्ष अजेंद्र अजय ने स्थलीय निरीक्षण कर आवश्यक दिशा-निर्देश दिए। उन्होंने अधिकारियों से निर्माण कार्य में गुणवत्ता के साथ-साथ कार्य में तेजी लाने के भी निर्देश दिए।

जोशीमठ से लगभग 24 किलोमीटर की दूर सुभाई गांव में बीकेटीसी की ओर से भविष्य बदरी मंदिर का जीर्णोद्धार कार्य किया जा रहा है। निर्माण कार्य अंतिम चरण में है। निरीक्षण के दौरान अजेंद्र ने जो भी कमियां देखी गई उसे तुरंत दुरस्त करने के भी निर्देश दिए। अजेन्द्र ने भविष्य बदरी मंदिर के समीप वाहन पार्किंग की आवश्यकता पर जोर देते हुए ग्रामीणों से पार्किंग निर्माण के लिए भूमि दिए जाने का भी आग्रह किया, ताकि भविष्य में दर्शनों को पहुंचने वाले श्रद्धालुओं को पार्किंग की समस्या से न जूझना पड़े। उन्होंने भविष्य बदरी मंदिर के पौराणिक स्वरूप को बरकरार रखने के लिए मुख्य प्रवेश द्वार को स्थानीय पत्थरों पर नक्काशी कर बनाने के निर्देश दिए।

अध्यक्ष ने भविष्य बदरी के अस्थाई मंदिर एवं स्वयंभू प्रगट हो रहे भविष्य बदरी में पूजा-अर्चना कर देश और प्रदेश की खुशहाली की कामना की। स्थलीय निरीक्षण के दौरान बीकेटीसी के अधिशासी अभियंता अनिल ध्यानी, सहायक अभियंता गिरीश देवली के अलावा भविष्य बदरी मंदिर के पुजारी पंडित संजय डिमरी, ग्रामीण सौरभ सिंह, महेन्द्र सिंह रावत, बलबीर सिंह, कुंवर सिंह, रघुबीर सिंह, लक्ष्मण सिंह आदि भी मौजूद रहे।

भविष्य बदरी की यह है मान्यता

भविष्य बदरी के बारे में यह मान्यता है कि आने वाले समय में भगवान बदरी विशाल की पूजा-अर्चना इसी स्थान पर होगी। एक पौराणिक आख्यान के मुताबिक जोशीमठ स्थित नरसिंह मंदिर में विराजमान भगवान नरसिंह की मूर्ति की बाएं हाथ की कलाई घिस रही है। एक समय ऐसा आएगा जब उनके बाएं हाथ की कलाई टूट जाएगी, तो नर-नारायण पर्वत जिन्हें जय-विजय भी कहा जाता है ये एक दूसरे से टकराएंगे। इससे वर्तमान बदरीनाथ मंदिर का मार्ग बंद हो जाएगा। इसके बाद भगवान बदरीनाथ की पूजा भविष्य बदरी मंदिर में हुआ करेगी।

नरसिंह मंदिर में भी अवस्थापना विकास के लिए होगा कार्य

बीकेटीसी अध्यक्ष जोशीमठ स्थित नरसिंह मंदिर में पूजा-अर्चना की और मंदिर परिसर का निरीक्षण किया। अजेंद्र ने वासुदेव मंदिर परिसर के विस्तारीकरण और सौंदर्यीकरण के लिए अधिकारियों को ठोस कार्य योजना तैयार करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि वासुदेव मंदिर के प्रवेश द्वार के कारण  मंदिर की भव्यता प्रभावित हो रही है। लिहाजा इसे तोड़ कर पौराणिक शैली नया प्रवेश द्वार निर्मितकिया जाएगा। उन्होंने अधिकारियों से पार्किंग सुविधा की संभावना तलाशने के निर्देश भी दिए।

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