posted on : April 28, 2022 8:35 pm

देवाल (चमोली)। दुनिया में कोई काम असंभव नहीं,इ बस हौसला और मेहनत की जरुरत है… इन पंक्तियों को सार्थक कर दिखाया है सीमांत जनपद चमोली के देवाल ब्लाॅक के बलाण गांव निवासी चंदन ने।

लोहजंग के मायला में चंदन ने वेदनी फूड प्रोडेक्ट यूनिट स्थापित किया है। चंदन ने बुरांस को रोजगार का जरिया बनाया और वे बुरांस से अच्छी खासी आमदनी कर रहे हैं। भले ही कोरोना काल लोगों के लिए दुःस्वप्न भरा रहा हो, लाखों लोगों नें रोजगार खोया हो पर कोरोना काल ने चंदन को पहाड़ में रोजगार की राह दिखलायी।

बचपन से पहाड़ में रोजगार का था सपना, कोरोना से मिली सीख, पहाड़ लौट शुरू किया बुरांस से स्वरोजगार..

चंदन ने अपने वेदनी फूड प्रोडेक्ट यूनिट को लेकर बताया कि वे देवाल के दूरस्थ गांव बलाण के निवासी हैं। उन्होंने 12 तक की परीक्षा राजकीय इंटर कॉलेज मुंदोली से उत्तीर्ण की थी। चंदन को बचपन से ही पहाड़ों से बेहद लगाव था। उन्होंने सोच लिया था कि वे अपने पहाड़ में रहकर ही रोजगार करना है। लेकिन उन्हें कुछ सूझ नहीं रहा था की आखिर वो यहां करेंगे क्या। वे कुछ सोच पाते इसी उधेडबुन के बीच वे रोजगार के लिए देहरादून चले गए। पांच साल तक चंदन ने देहरादून में नौकरी की। लेकिन मन कभी भी वहां नहीं लगा। मन में पहाड़ में रहकर ही कुछ करने की ललक थी। देहरादून में नौकरी करते हुए चंदन ने बुरांस, माल्टा, नींबू के जूस, जैम और अचार बनाना सीखा। जिसके उपरांत चंदन नें खुद का फूड प्रोडेक्ट यूनिट स्थापित करने का निर्णय लिया। लेकिन पैसे की कमी आडे आ गयी थी जिस कारण चंदन न कदम पीछे खींच दिये। जिसके बाद 2019 में चंदन नें उद्योग विभाग गोपेश्वर में स्वरोजगार के लिए आवेदन किया और स्वरोजगार ऋण लेकर लोहजंग के पास मायला नामक स्थान पर वेदनी फूड प्रोडेक्ट यूनिट स्थापित किया।

 

इसी बीच कोरोना काल में चंदन को महसूस हुआ की शहरों से अच्छा तो पहाड़ में रहकर भी बहुत कुछ किया जा सकता है इसी सोच के साथ चंदन ने अपने वेदनी फूड प्रोडेक्ट यूनिट में बुरांस, माल्टा, नींबू, सेब, लिंकुडा, तिमला, आडू, अमेश (चूक), खुमानी इत्यादि से विभिन्न प्रकार के उत्पादों जूस, जैम, अचार तैयार करना शुरू कर दिया। कोरोना की वजह से भले ही पिछले दो सालों में चंदन को बहुत नुकसान उठाना पड़ा था, लेकिन इस साल काफी डिमांड होने की वजह से वे काफी खुश हैं, जिससे उन्हें काफी मुनाफा भी हुआ है। चंदन कहते हैं कि वे आसपास के 12 गांवों के ग्रामीण और महिलाओं से बुरांस खरीदते हैं जिससे उन्हें रोजगार मिलता है, जबकि देवाल के विभिन्न गांवो से वे माल्टा, नींबू, अमेश, सेब, खुमानी और अन्य चीजों को खरीदते हैं। चंदन शुगर फ्री और अन्य उत्पाद तैयार करते हैं। इसके अलावा वे विभिन्न महिला समूहों को भी प्रशिक्षण देते हैं। उनके यहां कई स्वयं सहायता समूह भ्रमण पर आ चुकी हैं। चंदन का मानना है कि स्थानीय उत्पादों को बाजार मिलने से ही पहाड़ों में रोजगार के अवसर सृजित हो सकते हैं और पहाड़ से पलायन रूक सकता है, जिससे रिवर्स माइग्रेशन की उम्मीदों को पंख लगेंगे। वे बीते एक महीने में हजारों लीटर बुरांस का जूस और अन्य उत्पादों को नजदीक बाजार लोहजंग, देवाल, थराली, ग्वालदम, हल्द्वानी, श्रीनगर, देहरादून, दिल्ली तक भेज चुके हैं। इसके अलावा रूपकुण्ड ट्रैकिंग, वेदनी ट्रैकिंग, ब्रहमताल ट्रैकिंग पर आये टूरिस्ट भी उनसे खरीदकर ले जाते हैं। गढभूमि एडवेंचर के सीईओ हीरा सिंह गढ़वाली कहते हैं कि चंदन जैसे युवाओं की वजह से पहाड़ों में रोजगार की उम्मीदों को बल मिला है। चंदन जैसे युवा उन लोगों के लिए एक उदाहरण है जिन्हें आज भी पहाड़, पहाड़ ही नजर आता है। चंदन जैसे युवाओं को आज पहाड़ की सख्त आवश्यकता है। यदि खुद पर विश्वास और भरोसा किया जाय तो पहाड़ में रहकर भी बहुत कुछ किया जा सकता है। चंदन का प्रयास वाकई अनुकरणीय है। हमें इनसे सीख लेने की आवश्यकता है।

हमारे व्हाट्सएप ग्रुप से जुड़ने के लिए यहां क्लिक करें

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!