जब सरकार खुद ही  कर्ज में होने की बात कबूल रही है

गोपेश्वर (चमोली)। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत की ओर से गैरसैण में ग्रीष्मकालीन राजधानी के विकास के लिए 25 हजार करोड़ रुपये की घोषणा पर भाकपा माले ने सवाल उठाते हुए कहा है कि इतनी बड़ी धनराशि की व्यवस्था कैसे होगी ? अगस्त के महीने में जीएसटी काउंसिल की बैठक में उत्तराखंड सरकार ने केंद्र को बताया कि राज्य का कुल कर्ज 71500 करोड़ रुपया हो गया है और 5800 करोड़ रुपया तो इस कर्ज पर ब्याज राज्य को चुकाना होता है। राज्य की आर्थिक हालत इस कदर कमजोर है कि वेतन-भत्तों के भुगतान के लिए ही राज्य को बाजार से कर्ज लेना पड़ता हैै। 22 हजार करोड़ रुपया राज्य का वेतन, भत्ते, पेंशन आदि पर खर्च है।
भाकपा माले के गढ़वाल सचिव इंद्रेश मैखुरी ने सीएम की घोषणा पर सवाल किया है कि यदि गैरसैण में ग्रीष्मकालीन राजधानी के विकास के लिए 25 हजार करोड़ रुपये खर्च किया जा सकता है तो इतनी बड़ी धनराशि के बावजूद गैरसैण को स्थायी राजधानी क्यूं नहीं घोषित किया जा रहा है ? अब तक भाजपा और गैरसैण को स्थायी राजधानी बनाने के विरोधी यही तर्क देते रहे हैं कि देहारादून में राजधानी की सुविधाएं जुटाने के लिए करोड़ों रुपया खर्च किया जा चुका है, लेकिन अब सरकार स्वयं गैरसैण में अस्थायी राजधानी के नाम पर हजारों करोड़ रुपया खर्च करने की घोषणा कर रही है। इसलिए हम यह मांग करना चाहता हैं कि यह हजारों करोड़ रुपया ग्रीष्मकालीन राजधानी के लिए खर्च करने के बजाय स्थायी राजधानी के लिए खर्च किया जाये। देहारादून में राजधानी के नाम पर धनराशि खर्च पर रोक लगे और अस्थायी राजधानी में स्थायी निर्माण पर सरकारी धन का अपव्यय करने वालों के खिलाफ कार्रवाई हो। उन्होंने कहा कि 13 जिलों और 71 हजार करोड़ रुपये के कर्ज में डूबे हुए प्रदेश में दो राजधानियां किसी भी सूरत में स्वीकार्य नहीं है और यह भी कतई स्वीकार नहीं किया जा सकता कि गैरसैण दूसरे दर्जे की राजधानी बनाई जाये।

 

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