गोपेश्वर (चमोली)। भारत की कम्युनिस्ट पार्टी मार्क्सवादी की ओर से मंगलवार को बिजली बोर्ड के निजीकरण किय जाने तथा स्मार्ट मीटर लगाये जाने का विरोध करते हुए विद्युत विभाग के कार्यालय पर धरना दिया गया तथा विद्युत वितरण खंड गोपेश्वर के अधिशासी अभियंता के माध्यम से एक ज्ञापन मुख्यमंत्री को भेजा गया।

सीपीएम के जिला मंत्री मदन मिश्रा का कहना है कि बिजली बार्ड के निजीकरण तथा स्मार्ट मीटर लगाने का पुरजोर विरोध करते हुए इसे सरकार का जन विरोधी फैसला मानती है। उनका आरोप है कि राज्य सरकार पिछले दरवाजे से बिजली का पूरी तरह से निजीकरण करने जा रही है, जिसका सीधा नुकसान राज्य की गरीब, किसान तथा मध्यम वर्गीय परिवारों को होगा। तथाकथित स्मार्ट मीटर लगवाये जाने के संबंध में सरकार की ओर से किये जा रहे बड़े-बड़े दावे अपने आप में खोखले दावे है। उन्होंने कहा कि जो स्मार्ट मीटर लगाये जा रहे है उनकी कीमत भी बाद में जनता से वसूली जायेगी।

उन्होंने कहा कि राज्य सरकार को इसकी जानकारी होगी कि कार्पोरेट जगत को लाभ पहुंचाने के लिए बिजली के निजीकरण के लिए पांच बार लोक सभा में बिजली बिल बहुमत होने के बावजूद भी पारित नहीं हो पाया, इससे पहले भी बाजपेयी सरकार 2003 में ऐसा कर चुकी है। और अब सरकार पिछले दरवाजे से बिजली का नीजिकरण करने जा रही है जो कि गैर सवैधानिक है। उन्होंने कहा कि भारत सरकार ने बिजली सप्लाई एक्ट 1948 बनाया था जिसके तहत बिजली का गांवों, शहरों, उद्योगों और खेती-बाड़ी के विकास के लिए बिजली आपूर्ती करना था। आज 80 प्रतिशत गांवों में बिजली आपूर्ति से खाद्यान्न में भारी वृद्धि हुई जिसके तहत पांच किलो मुफ्त का अनाज देकर सरकार बोट बटोरने की राजनीति कर रही। उन्होंने कहा कि सरकार के तमाम फैसले यह बताने के लिये काफी है कि बिजली क्षेत्र स्वतः ही प्राइवेट हाथों में चले जाय और बिजली बोर्ड खत्म हो जाय परिणाम स्वरूप राज्य सहित लाखों कर्मचारियों की नौकरी चली जायेगी, बिजली विभाग के सेवानिवृत कर्मचारियों की पेंशन पर प्रश्न चिह्न लग जायेगा। स्मार्ट मीटर लगाने और बिजली विभाग के निजीकरण से बिजली कर्मचारियों पर और पेंशन पर विनाशकारी प्रभाव पड़ेगा। नये संविदा कर्मचारियों से कम मानदेय में ज्यादा काम लिया जायेगा तथा स्थाई रोजगार समाप्त होगा और बीपीएल परिवारों, भूतपूर्व सैनिकों, किसानों, लघु उद्योगों के क्षेत्र में लगे कर्मचारियों को बिजली छूट में कटौती होगी। उन्होंने सरकार से इस निर्णय को वापस लेने की मांग की है। धरना देने वालों में भूपाल सिंह रावत, ज्ञानेंद्र खंतवाल, बस्ती लाल, पुष्पा किमोठी, इंदू, दीपा, गेंदा लाल, विजय लाल आदि मौजूद थे।

 

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