गोपेश्वर (चमोली)। बद्रीकेदार के पूर्व विधायक कुंवर सिंह नेगी ने केंद्र व उत्तराखंड सरकार से मांग की है कि उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्र की नगदी फसलों के साथ ही जड़ी बूटी का न्यूनतम समर्थन मूल्य घोषित किया जाय ताकि यहां के किसानों की आर्थिकी में सुधार होने के साथ ही पहाड़ों से पलायन रूक सके।
पूर्व विधायक ने मंगलबार को जारी एक बयान में कहा कि पर्वतीय क्षेत्रों में राजमा, आलू, रामदाना, बड़ी इलायची, मंडुवा, मशरूम, कीवी के साथ ही अन्य नगदी फसलों की काफी मात्रा में खेती की जाती है। जिसका आज तक समर्थन मूल्य घोषित नहीं किया जाता है। जिस कारण काश्तकार इसकी खेती करने से विमुख होने के साथ ही यहां से पलायन कर रहे है और गांव खाली होते जा रहा है। वहीं पहाड़ों में अत्यंत गुणकारी जीवन रक्षक दुर्लभ मूल्यवान जड़ी बूटी भी अब लोग अपने खेतों में उगाने लगे है। जिसमें अतीस, कूट, कुटकी, हत्थाजड़ी, चिरायता, वन ककड़ी, शतावर, कालाजीरा, तेजपात, धुनेर के साथ ही अन्य प्रकार की जड़ी उगाई जा रही हैं लेकिन सरकार की ओर से इसका भी समर्थन मूल्य घोषित नहीं किया जाता है। उन्होंने कहा कि सरकार को चाहिए कि हर वर्ष इनका न्यूनतम समर्थन मूल्य घोषित कर काश्तकारों को इसकी खेती के लिए प्रोत्साहित करे। ताकि सरकार की किसानों की आय दोगुनी करने की जो योजना है उसे बल मिले और यहां का युवा पहाड़ में रह कर की अपनी आजीविका सुधार सके।