जोशीमठ (चमोली)। जोशीमठ बचाओ संघर्ष समिति ने गुरूवार को उपजिलाधिकारी जोशीमठ के माध्यम से मुख्यमंत्री को ज्ञापन भेज कर पूरे जोशीमठ विकास खंड का भूगर्भीय और पर्यावणरणीय सर्वेक्षण करवा कर लगातार हो रहे भूस्खलन और भू धसाव के उपाय खोजे जाने की मांग की है।

जोशीमठ बचाओ संघर्ष समिति के अतुल सती, कमल रतूड़ी, पूर्व पालिकाध्यक्ष ऋषि प्रसाद सती, रोहित परमार का कहना है कि बीते दिनों 17 से 19 अक्टूबर के मध्य हुई बारिश से समूचा उत्तराखण्ड प्रभावित हुआ। जानमाल की भी व्यापक क्षति हुई है। जोशीमठ क्षेत्र जो कि पूर्व से ही आपदाग्रस्त रहा है पुनः इस बरसात के बाद प्रभावित हुआ है। जोशीमठ के बारे में 1976 की गई मिश्रा कमेटी की रिपोर्ट ही इस क्षेत्र को आपदा के लिहाज से संवेदनशील बताती है। वर्तमान के हालात देखते हुए मिश्रा कमेटी की रिपोर्ट पर अमल किये जाने की जरूरत है। उनका कहना है कि जोशीमठ के प्रवेश द्वार से ही भूस्खलन की शुरुआत होने लगी है। यहां पर हाईवे सुधारीकरण और जल विद्युत परियोजना निर्माण में निकलने वाला मलवा सीधे अलकनन्दा नदी में जाएगा, जो भविष्य में बड़ी आपदा के कारण बन सकता है क्योंकि इस स्थान पर अलकनन्दा बहुत संकरी घाटी से होकर बहती है। जोशीमठ नगर के ऊपर बहुत से भूस्खलनों के चलते इसकी कई बस्तियां खतरे की जद में आ गयी हैं। औली सड़क जगह-जगह से धंस रही है जिस कारण इसके आस पास की बस्तियां किसी भी बारिश में आपदाग्रस्त हो सकती हैं। परसारी, रविग्राम क्षेत्र ऐटी नाले के भू स्खलन के चलते लगातार खतरे में हैं। जोशीमठ विकास खंड के बहुत से गांव इस बारिश से भूस्खलन का शिकार हुए हैं। नीती घाट मोटर मार्ग और इसके आस पास के गांव को भी क्षति पहुंची है और भविष्य के लिहाज से अति संवेदनशील हो गए हैं।

उन्होंने इन सभी स्थितियों को ध्यान में रखते हुए जोशीमठ क्षेत्र का व्यापक भूगर्भीय और पर्यावरणीय सर्वेक्षण किया जाना अति आवश्यक बताया है। जिससे भविष्य में सुरक्षा  के मद्देनजर  नीति निर्माण और सुरक्षा उपाय किये जा सकें। उन्होंने मुख्यमंत्री को भेजे ज्ञापन में मांग है कि जोशीमठ की तलहटी में अलकनन्दा नदी के भूस्खलन क्षेत्रों में सुरक्षा दीवार तुरन्त बनाई जाए। जोशीमठ की जो बस्तियां खतरे की जद में हैं उनके विस्थापन पुनर्वास की तत्काल व्यवस्था की जाय। कृषि भूमि के नुकसान की भरपाई की जाय।

 

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