गोपेश्वर (चमोली)। चमोली जिले के जोशीमठ विकास खंड के सीमावर्ती गांव द्रोणागिरी, जेलम और कागा गरपक को वाईव्रेंट विलेज योजना से जोड़े जाने की मांग को लेकर सोमवार को सीमांत गांव के जनप्रतिनिधियों ने एक ज्ञापन उप जिलाधिकारी जोशीमठ के माध्यम से प्रधानमंत्री को भेजा है।
ग्राम प्रधान कागा पुष्कर सिंह राणा का कहना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से सीमांत गांवों को देश का पहला गांव का दर्जा देते हुए उन गांवों के लिए एक योजना का अनावरण किया था जिसे वाईव्रेंट विलेज (जीवंत ग्राम) का नाम दिया था। जिसके अंतर्गत सीमांत चमोली जिले के सीमावर्ती क्षेत्र के लगभग नौ ग्राम सभाओ के गावों को शामिल किया गया। लेकिन सीमांत जनपद चमोली के जोशीमठ विकास खंड के जो सबसे दूरस्थ ग्राम सभाओ के गांव है जिसमें द्रोणागिरी, जेलम और कागा गरपक भी शामिल जहां पर पहुंचने के लिए ग्रामीणों को नौ-नौ किलोमीटर पैदल का रास्ता तय करना पड़ता है और अपने दिनचर्या की सामग्री को पीठ पर लाद के पहुंचाना पड़ता है उन ग्राम सभाओ के गावों को अभी तक इस योजना से वंचित रखा गया जो कि सोचनीय विषय है।
उन्होंने कहा कि वाईव्रेंट विलेज का जो मुख्य परिकल्पना है वह शायद ग्रामीणों को इस योजना के अंतर्गत स्वरोजगार के साधन उपलब्ध करवाना और अन्य दिनचर्या की सुविधा मुहिया करवा के पलायन पर रोक लगाना है। मगर मेरा मानना है कि जीवंत ग्राम हमको उन गावों को करना है जहां पर वास्तव में लोगो को रोजगार की सुविधा, स्वास्थ्य की सुविधा और यातायात की सुविधा नहीं मिल पा रही है। जहां पर लोगो को नौ-नौ किलोमीटर पैदल चलकर अपना गांव पहुंचा पड़ रहा है। बीमार पड़ने की दशा में कंडी और डोली की सहायता से मुख्य मार्ग तक पहुंचाना पड़ता है न कि उन गावों को जो विकास की मुख्य धारा सड़क से जुड़े है। उन्होंने कहा कि ग्राम सभा द्रोणागिरी, कागा गरपक के ग्रामीणों को अपनी मूलभूत आवश्यकता की वस्तुओं के लिए नौ किलोमीटर पैदल चल कर मुख्या बाजार तक पहुंचना पड़ता है। ऐसे में इन गांवों को भी इस योजना से जोड़ा जाना चाहिए जो कि उसी क्षेत्र में हैं जिन क्षेत्रों को इस योजना से जोड़ा गया है। उन्होंने प्रधानमंत्री से इन गांवों को भी वाईव्रेंट विलेज योजना से जोड़े जाने की मांग की ताकि इन गांवों को भी लाभ मिल सके। इस मौके पर पुष्कर सिंह राणा, देवेंद्र पंवार आदि शामिल थे।