पोखरी (चमोली)। उत्तर भारत मे एक मात्र क्रौच पर्वत पर स्थित कार्तिकेय स्वामी मंदिर मे ग्यारह दिवसीय महायज्ञ का आयोजन क्षेत्र की सुख समृद्धि और कुशल कामना के लिए आयोजित किया जा रहा है, जिसमे नियमित रूप मे हजारों श्रद्धालु प्रति दिन भगवान कार्तिकेय के दर्शन के लिए पहुंच रहे है और मनौतियां मांग रहे।

पांच जून से प्रारंभ यह महायज्ञ पन्द्रह जून तक चलेगा, पन्द्रहवे दिन मे भव्य रूप से जल क्लश यात्रा निकाल कर इस जल से कार्तिकेय का जलाभिषेक किया जायेगा और सोलहवे दिन पूर्णाहुति के बाद कार्यक्रम संपन्न होगा। क्षेत्र के 363 गांवो के अराध्य देव कार्तिकेय स्वामी का मंदिर जनपद चमोली और जनपद रुद्रप्रयाग की सीमा पर पोखरी-रुद्रप्रयाग मोटर सड़क के कनकचैरी नामक स्थान से साढ़े तीन किलोमीटर की खड़ी चडाई शानदार जंगल के बीचो बीच-बीच चल कर चल कर भगवान कार्तिकेय के दर्शन होते है। यहां मंदिर कमेटी ने यात्रियो के रहने की अच्छी धर्मशाला की व्यवस्था की गयी है। अब दूर दराज के यात्री बारह महिने यहां यात्रा पर आते है, यही नही नया दंपति जोड़ा भी कार्तिकेय स्वामी मंदिर मे पहुंच कर भगवान कार्तिकेय का आशीर्वाद प्राप्त करते है। इस महायज्ञ मे मंदिर समिति के प्रबंधक पूर्ण सिंह नेगी ,अध्यक्ष शत्रुघ्न नेगी, सचिव बलराम सिंह नेगी, कोषाध्यक्ष चन्द्र सिंह नेगी, उपाध्यक्ष विक्रम सिंह नेगी, उप प्रबंधक रमेश सिंह नेगी, कथावाचक वासुदेव प्रसाद थपलियाल आदि मौजूद थे।

क्या है इसकी कथा

माना जाता है कि भगवान कार्तिकेय ने इस जगह पर अपने शरीर का पूरा मांस भगवान शिव को समर्पित की थीं। प्राचीन कथा अनुसार एक दिन भगवान शिव ने गणेशजी और कार्तिकेय से कहा कि तुममें से जो ब्रह्मांड के सात चक्कर पहले लगाकर आएगा, उसकी पूजा सभी देवी-देवताओं से पहले की जाएगी। कार्तिकेय ब्रह्मांड के चक्कर लगाने के लिए निकल गए, लेकिन गणेशजी ने भगवान शिव और माता पार्वती के चक्कर लगा लिए और कहा कि मेरे लिए तो आप दोनों ही ब्रह्मांड हैं। भगवान शिव ने खुश होकर गणेशजी से कहा कि आज से तुम्हारी पूजा सबसे पहले की जाएगी। जब कार्तिकेय ब्रह्मांड का चक्कर लगाकर आए और उन्हें इन सब बातों का पता चला तो उन्होंने अपने शरीर का पूरा मांस काट कर भगवान शिव को समर्पित कर दीं। 

क्या है मान्यता

ऐसा माना जाता है कि इस मंदिर में घंटी बांधने से इच्छा पूर्ण होती है। यही कारण है कि मंदिर के दूर से ही आपको यहां लगी अलग-अलग आकार की घंटियां दिखाई देने लगती हैं। यहां शाम की आरती बेहद खास होती है। इस दौरान यहां भक्तों का भारी जमावड़ा लग जाता है। कहते हैं  कि महायज्ञ के दौरान कोई भी भक्त भगवान कार्तिकेय से जो कामना करता है उसके सभी मनोरथ पूर्ण होते हैं।

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