देवाल (चमोली)। उत्तराखंड के जंगलों में आग लगने से जहां तापमान में वृद्धि हो रही हैं, वहीं पर्यावरणीय असंतुलन होना लाजमी हैं। जंगलों को आग से बचाने के लिए पर्यावरणविद् वृक्षमित्र डॉ. त्रिलोक चंद्र सोनी ने ग्राम पंचायत पूर्णा देवाल में वनाग्नि रोकने, पानी के जलस्रोतों को बचाने तथा वर्षा जल सरंक्षण के लिए ग्रामीणों के साथ बैठक की।
वृक्षमित्र डॉ. त्रिलोक चंद्र सोनी ने कहा कि जंगलो से ग्रामीणों की कई मूलभूत आवश्यकताओं की पूर्ति होती हैं। जिसमे पशुओं के लिए चारापत्ति, जलाने को लकड़ी, पशुओं में बिछाने के लिए पेड़ो की पत्तियां तथा कई फल, फूल और जड़ी बूटियां मिलती हैं, आगजनी से वे जलकर राख हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि वनाग्नि से जीव जंतुओं, जंगली जानवरों और पक्षियों की प्रजातियां समाप्ति के कगार पर हैं इन्हें बचाने की जिम्मेदारी हर परिवार को लेनी होगी तभी ये जंगल सुरक्षित रहेंगे अन्यथा जिस प्रकार से आग से जंगल धधक रहे हैं, उससे आनेवाले समय मे पानी की बहुत बड़ी किल्लत गांव के लोगो के सामने होगी।
समाजसेवी कमला देवी ने लोगों से जंगलों को वनाग्नि से बचाने में अपना योगदान देने की अपील की। किरन सोनी ने वनो को बचाने के साथ अधिक से अधिक पौध लगाने के लिए गांव के लोगो को आगे आने की बात कही और बारिश के पानी बचाने के लिए जंगलों और अपने आसपास खाली भूमि पर चाल खाल बनाने की अपील की। गोष्ठी में कान्ति देवी, गंगा देवी, लीला देवी, मनीषा देवी, लक्ष्मी देवी, सुपली देवी, सुरेंद्र कुमार, संजय कुमार, मयूर आदि मौजूद थे।