गोपेश्वर (चमोली)। चमोली जिले के कई स्थानों पर वर्षों से भोटिया जनजाति के पड़ाव है जहां पर आज भी वे लोग शीतकाल में प्रवास करते हैं जिस पर मालिकाना हक को लेकर एक लंबे समय से मांग चली आ रही है। पूर्व में अगस्त माह में सीएम की ओर से भोटिया जनजाति के पडाव वाली भूमि पर मालिकाना हक दिये जाने के लिए कार्रवाई किये जाने की घोषणा की गई थी लेकिन तहसील प्रशासन की ओर से वर्तमान तक कोई कार्रवाई न किये जाने से भोटिया जनजाति के लोगों में आक्रोश व्याप्त है।
कागा के प्रधान और प्रधान संगठन के महामंत्री पुष्कर सिंह राणा ने कहा कि सीएम की घोषणा के बाद जिलाधिकारी चमोली की ओर से 20 अप्रैल को तहसील जोशीमठ, चमोली, घाट, नंदप्रयाग, जिलासु, पोखरी कर्णप्रयाग, आदिबद्री, गैरसैण, नारायण बगड़ थराली एवं देवाल को तीन दिन के अंतर्गत विस्तृत आख्या धरातलीय सर्वेक्षण कर प्रस्ताव उपलब्ध कराने का आदेश दिए थे लेकिन अभी तक बीस दिन बीत जाने के बाद भी तहसील स्तर से कोई भी राजस्व कर्मचारी धरातल पर नही पहुंचे। जिससे नीती माणा के भोटिया जनजाति के लोगो में काफी नाराजगी है। जनजाति के लोगो का कहना है कि हमारे शीतकालीन प्रवास की भूमि पर हमारे पूर्वजों की ओर से कई वर्षों से कब्जा है जिसमे हम लोग वर्तमान में रह रहे हैं। लेकिन वर्तमान तक किसी भी सरकार ने मालिकाना हक नही दिया। उनका कहना है कि ऐसा नही है कि इस विषय पर कभी सरकार से वार्ता न हुई हो। समय-समय पर हर मंचो पर मालिकाना हक की बात उठी है। परंतु कभी भी सरकार की ओर से इस विषय को गंभीरता से नही लिया गया। जबकि वतर्मान सरकार की ओर से अगस्त माह मे नीती माणा घाटी के जनजाति लोगो के शीतकालीन प्रवास की भूमि का मालिकाना हक दिए जाने के संबंध में मुख्यमंत्री की ओर से घोषणा की गई है। किंतु धरातल पर इसमें तहसील प्रशासन की ओर कोई कार्रवाई गतिमान नजर नही आ रहा है जो उनके साथ अन्याय है। उन्होंने तहसील प्रशासन से अविलंब सर्वेक्षण किये जाने की मांग की है ताकि इसका लाभ भोटिया जनजाति के लोगों को मिल सके।