गोपेश्वर (चमोली)। गैरसैण को स्थायी राजधानी बनाने की आंदोलन से जुडे प्रवीण काशी ने कहा कि सरकार की नीति और नियत दोनों में खोट है। सरकार चाहती ही नहीं की उत्तराखंड की स्थायी राजधानी गैरसैण बने। अन्यथा गैरसैण को ग्रीष्म कालीन राजधानी बनाने के बजाय सीधे स्थायी राजधानी बनाया जा सकता था।
गोपेश्वर में बुधवार को पत्रकारों से बातचीत करते हुए प्रवीण काशी ने कहा कि एक ओर सरकार पहाड़ से पलायन रोकने की बात कर रही है दूसरी ओर स्वयं पहाड़ में न बैठ कर देहरादून में बैठना पसंद कर रही है। उन्होंने कहा कि एक प्रदेश की दो राजधानी अंग्रेजों के शासन काल में हुआ करती थी उसी परंपरा को वर्तमान की भाजपा सरकार ने भी आगे बढ़ाते हुए इस गरीब प्रदेश में दो राजधानी बनाकर जनता पर भारी बोझ डालने का कुचक्र चला है। उन्होंने कहा कि यह एक ऐसी सरकार है जिससे जनता मांगती कुछ और है और वह जनता को थमा कुछ और देती है। शहीदों की शहादत को भी इस सरकार ने मजाक बनाकर रख दिया है। उन्होंने कहा कि सरकार के पास यदि विजन होता तो यहां पर पर्वतीय उद्योग और कृषि नीति बना कर यहां के काश्तकारों की आर्थिकी को सुधारने का काम किया जा सकता था लेकिन सरकार ने इस दिशा में अभी तक कोई कार्य नहीं किया है।
प्रवीण काशी ने कहा कि राज्य की स्थायी राजधानी गैरसैण बने इसके लिए आगामी 19 नवम्बर से गोपेश्वर गोपीनाथ मंदिर से एक पदयात्रा शुरू की जायेगी जो विभिन्न स्थानों से होते हुए 25 नवम्बर को गैरसैण पहुंचेगी जहां पर धरना शुरू किया जाएगा। उन्होंने राज्य आंदोलनकारियों से अपील की है कि वे इस मुहिम से जुड़ कर राज्य की स्थायी राजधानी गैरसैण बने इसके लिए आगे आयें। इस मौके पर पूर्व जिला पंचायत सदस्य वीरेंद्र सिंह मिंगवाल, योगेंद्र बिष्ट, भगत सिंह, आयुष धामी आदि मौजूद थे।