थराली (चमोली)। चमोली जिले के पिंडर घाटी के दौरे पर पहंुचे वन संरक्षक गढवाल एनएन पाण्डे ने कहा कि अधिकतर देखा जा रहा है कि सड़क निर्माण के दौरान कार्यदायी संस्था मलवा वन भूमि, नदी नालों में डाल रहे हैं। जिस पर विभागीय अधिकारियों को निर्देश दिया गया है कि कार्यदायी संस्था के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करें।
मंगलवार को नारायणबगड के वन विश्राम गृह में पत्रकारों से बातचीत करते हुए वन संरक्षक ने कहा कि वे विभागीय कार्यों का स्थलीय निरीक्षण के लिए भ्रमण पर निकले है। साथ वन पंचायतों व आम लोगों से संवाद स्थापित कर वनों के प्रति लोगों को जागरूक करना भी है। उन्होंने कहा कि वन पंचायतों को सुदृढ व मजबूत कर आजिविका के अवसर को उपलब्ध कराने का प्रयास किया जा रहा है। उन्होने बताया कि वर्तमान में चमोली जिले एक हजार वन पंचायतों में से 67 वन पंचायतों में कार्यचल रहे है जिसे दो सौ वन ंचायतों तक पहुंचाने का लक्ष्य रखा गया है। उन्होंने कहा कि वन पंचायतों का भ्रमण कर क्षेत्र में विभाग की ओर से संचालित विभिन्न योजनाओं का जायजा लेकर जानकारी हासिल कि जा रही है। बेमौसमी वनाग्नि पर बोलते हुए उन्होने कहा कि बेमौसमी वनाग्नी में अकसर देखा गया है कि ग्रामीणों की ओर से स्वयं अपने उदेश्यों की पूति के लिए वनों को जानबूझ कर आग के हवाले किया जा रहा है, जो कि नहीं होना चाहिये था भविष्य में ऐसे लोगों पर निगरानी रख कर उनके कृत्यों पर शक्त कार्रवाई अमल में लाई जायेगी। वही जंगली जानवरों के उत्पात से बंजर हो रही कृषि भूमि के बारे में बोलते हुए उन्होने कहा कि बन्दर बाडा व सुअर रोधी दिवालों का निर्माण किया की योजना बनायी जा रही है। उन्होने कहा कि तत्कालिक स्तर पर क्षे़त्रों से बन्दरों का पकड कर हरिद्वार की लैब में उनका बधियाकरण भी किया जा रहा है। जिससे निश्चित तौर पर भविष्य में अच्छे परिणाम प्राप्त होगे। उन्होने बताया कि नवनिर्मित सडको के कारण तबाह हो रहे वन क्षेत्रों के क्षतिपूर्ति के तौर पर अन्य क्षेत्रों में पौधरोपण कर वनों का विस्तार किया जा रहा है। इस अवसर पर डीएफओं अलकन्दा वन प्रभाग गोपेश्वर सर्वेश्वर कुमार, वन क्षेत्र अधिकारी बद्रीनाथ वन प्रभाग जुगल किशोर चैहान आदि मौजूद थे।