रूद्रप्रयाग। रूद्रप्रयाग जनपद के गुलाबराय मैदान में मंगलवार से गोपाल मणि के सानिध्य में धेनु मानस गौ राम कथा आयोजन शुरू हो गया है।
प्रथम दिवस की कथा में गौ कथा वाचक गोपाल मणि महाराज ने कहा कि माता की महिमा तथा हमारी संस्कृति में गौ माता को सर्वोच्च स्थान एवं हमारी परंपरा के महत्व के विषय में निरंतर ज्ञान बरसता रहा। बताया की हमारी संस्कृति और परंपरा इतनी महान है कि हम प्रतिष्ठा दे देकर एक पत्थर और एक प्रतिमा को भी भगवान बना देते हैं। तब गौमाता तो चलता फिरता देवालय है, विश्व की मां है। हमारे वेद, पुराणों एवं ग्रंथों ने, हमारे पूर्वजों ने, हमारे बड़ों ने, गाय को माता के रूप में स्वीकार किया है। पुराने जमाने में हमारी दादी, नानी, घर की माताएं सबसे पहले सुबह उठकर गाय की पीठ पर हाथ फेरा करती थी। इस हाथ फेरने का मतलब कि हमने सुबह-सुबह सूर्यनारायण प्रभु से हाथ मिला लिया। गाय के शरीर में 33 करोड़ रोम होते हैं जो 33 करोड़ देवी-देवता है। हमें गौ माता को सम्मान देना चाहिए। यदि हम गौ माता को सम्मान देते हैं तो हमारा जीवन सुधर जाएगा। उन्होंने कहा कि आज रिश्तों में अनेकों विकृतियां आ गई हैं। बच्चे मां-बाप की बात नहीं मानते। वह इसी कारण हो रहा है क्योंकि हम अपनी संस्कृति, अपनी परंपरा, अपने पूर्वजों की बातें, अपने वेदों और ग्रंथों में कहीं बातों को नजरअंदाज कर रहे हैं। हमें उन सब मूल्यों को जीवन में वापस उतारना होगा। गौमाता को सम्मान देकर हम अपना जीवन सुधार सकते हैं। हमारे हाथ जगन्नाथ प्रभु के हाथ हैं। इन्हें हम रोज गौ माता की सेवा में जीवन के सारे कष्टों को दूर करें। कथा में सच्चिदानंद नौटियाल, कालिका प्रसाद सेमवाल, हरिसिंह पंवार, सुन्दरमणी गोस्वामी अवधेश सेमवाल, लक्ष्मी जगवाण, शकुंतला नौटियाल, ज्योति नौटियाल, मंजू पोखरियाल आदि मौजूद रहे।