हेम चंद्र मिश्रा
देवाल (चमोली)। चमोली जिले के देवाल विकास खंड के गांव ओडर के ग्रामीण की जिन्दगी पिछले 10 वर्षों से इलैक्ट्रिक हाइड्रो ट्राली के सहारे झूलते हुए पिंडर नदी से आवाजाही कर बीत रही है। अभी तक झूला पुल नहीं बनने से ग्रामीण में मायूसी छाई है।
वर्ष 2013 में आई दैविक आपदा में पिंडर नदी का जल स्तर बढ़ने से सिलगी से ओडर गांव को जोड़ने वाला झूला पुल बह गया था। पुल बहने के छह माह बाद लोनिवि थराली ने बहे पुल के स्थान पर हाइड्रोलिक ट्राली का निमार्ण किया। कुछ समय तक ट्राली ठीक चली उसके बाद अक्सर खराब ही रहने लगी, कई बार ग्रामीण घंटों तक ट्राली में फंस जाते हैं। फिर विभाग ट्राली को ठीक करता है। यह सिलसिला चलते आ रहा है। ट्राली में बार-बार आ रही खराबी को देखते हुए ग्रामीण हर वर्ष पिंडर नदी का जलस्तर कम होने के बाद नदी पर श्रम दान से लकड़ी का कच्चा पुल बनाते है। नौ माह तक इसी कच्चे पुल से आवाजाही करते हैं। मानसून के आते ही जुलाई में नदी का पानी बढ़ने से लकड़ी का पुल बहा जाता है, पिछले दस वर्ष से ऐसा ही चला आ रहा है। पुल के बहने से रैन, पलवरा, लिगडी, हडाप, थलियापातल, दावों, वजई बमगन, सहित कुमाऊं क्षेत्र की चार हजार की आबादी की दिनचर्या प्रभावित हो रही है। ग्रामीण पिछले लम्बे समय से शासन प्रशासन से झूला पुल की मांग करते आ रहे हैं। अब वल्र्ड बैंक ने पुल बनाने के लिए वित्तीय स्वीकृति दी है। चार जून 2023 को टेंडर भी पड़ गया है। अब ग्रामीणों की आश जग गई है। लेकिन अभी तक पुल का निमार्ण कार्य शुरू नहीं होने से लोगों में नाराजगी है।
क्या कहते है जनप्रतिनिधि
पिछले दस वर्षों से ओडर सहित एक दर्जन गांव आदिम युग में जीने को मजबूर हैं। सबसे ज्यादा परेशानी शादी विवाह में होती है। बाराती और वर बंधू को ट्राली से गुजरना पड़ता है, आवश्यक सामग्री ले जाने में दिक्कतें होती है। विभाग को चाहिए कि जल्द पुल का निर्माण शुरू करे।
पान सिंह गडिया क्षेपंस लिगडी ओडर देवाल।
क्या कहते है अधिकारी
ओडर झूला पुल का सात करोड़ 62 लाख का टेंडर पड़ गया है। 120 मीटर स्पान का पुल बनना है। ठेकेदार को जल्द ही निर्माण कार्य शुरू करने के निर्देश दिए हैं।
विरेन्द्र सिंह बसेडा सहायक अभियंता लोनिवि थराली।