जोशीमठ (चमोली)। जोशीमठ बचाओ संघर्ष समिति ने प्रदेश के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को जोशीमठ पहुंचने पर उन्हें अपनी मांगों को एक ज्ञापन सौंपा तथा गुहार लगायी की तीन माह से अधिक समय से आपदाग्रस्त जोशीमठ के प्रभावितों के तीन माह के आन्दोलन के पश्चात भी कोई कार्रवाई न होने यहां के वाशिंदे परेशान हाल में है। उन्होंने सीएम से उनकी समस्याओं के समाधान की मांग की है।
जोशीमठ बचाओ संघर्ष समिति के संयोजक अतुल सती, प्रवक्ता कमल रतूड़ी का कहना है कि भूधंसाव के समाधान की मांग का लेकर जोशीमठ के लोग तीन माह से अधिक समय से जोशीमठ तहसील परिसर में धरना दे रहे हैं लेकिन सरकार की ओर से उनकी समस्याओं का कोई समाधान नहीं किया जा रहा है। जिससे लोगों में सरकार के प्रति आक्रोश है। उन्होंने कहा कि शनिवार को सीएम के जोशीमठ पहुंचने पर उन्होंने अपना एक ज्ञापन उन्हें सौंपते हुए समस्याओं के समाधान की मांग की है। ज्ञापन देने वालों में अतुल सती, कमल रतूड़ी, प्रकाश नेगी, रोहित, संजय उनियाल आदि शामिल थे।
सीएम की इन समस्याओं के समाधान की मांग
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सम्पूर्ण जोशीमठ को आपदा प्रभावित घोषित करते हुए प्रभावित वर्गों को हुए नुकसान की भरपाई की जाय। यथा कृषकों, दूध व्यवसाईयों, दैनिक मजदूरों, पर्यटन पर निर्भर लोगों, व्यवसाइयों को हुए नुकसान का उचित मुआवजा प्रदान किया जाए।
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जोशीमठ में विस्थापन एवम पुनर्वास हेतु एक स्थाई कार्यालय शीघ्र प्रारंभ किया जाए।
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सरकार की ओर से अभी दिये जा रहे भवनों के मुआवजा देने की प्रक्रिया को आसान बनाया जाए।
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स्थानीय निवासियों की सेना में गयी भूमि का भुगतान करवाया जाय, जिससे इस आपदा काल में लोगों को आर्थिक सहायता हो सके।
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जोशीमठ की आपदा के संदर्भ में देश की शीर्ष आठ संस्थाओं ने सर्वेक्षण ध्अध्ययन किया गया है। उनके अध्ययन की रिपोर्ट को शीघ्र सार्वजनिक किया जाना चाहिए। जिससे लोगों में व्याप्त तमाम आशंकाओं का समाधान हो सके।
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सरकार की ओर से घोषित मुआवजा नीति में होम स्टे को व्यावसायिक श्रेणी से हटाया जाय ।
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शीमठ के स्थाईकरण एवम नव निर्माण के कार्यों की मॉनिटरिंग के लिये कमेटी बने, जोशीमठ बचाओ संघर्ष समीति इस कमेटी में शामिल की जाए।
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शीमठ में बहुत सी बेनामी भूमि पर लोग काबिज हैं। जिससे इस आपदा काल में लोगों के सामने भूमिहीन होने का संकट खड़ा हो गया है। लिहाजा स्थानीय स्तर पर भू-बन्दोबती कर लोगों के खातों में भूमि दर्ज की जाए। 9
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बेघर हुए प्रभावितों की स्थाई विस्थापन पुनर्वास की व्यवस्था न होने तक वैकल्पिक व्यवस्था कम से कम साल भर तक की जाए।
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पोवन विष्णुगाड जल विद्युत परियोजना की निर्मात्री एंटीपीसी कंपनी के के साथ हुए 2010 के समझौते को लागू किया जाया।
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पोवन विष्णुगाड़ परियोजना एवम हेलंग मारवाड़ी बाईपास पर स्थाई रोक लगे।