जोशीमठ (चमोली)। जोशीमठ बचाओ संघर्ष समिति ने हेमकुंड साहिब में हेलीपैड बनाये जाने का विरोध करते हुए शुक्रवार को उप जिलाधिकारी जोशीमठ के माध्यम से एक ज्ञापन प्रदेश के मुख्यमंत्री को भेजा है।

जोशीमठ बचाओ संघर्ष समिति के संयोजक अतुल सती और प्रवक्ता कमल रतूड़ी का कहना है कि हेमकुंड नन्दादेवी नेशनल पार्क क्षेत्र के अंतर्गत है। जो कि अंतरराष्ट्रीय ख्यातिप्राप्त पर्यटक केंद्र है। यूनेस्को की विश्व धरोहर है। यह हिमालय का अतिसंवेदनशील दुर्लभ जड़ी बूटियों वनस्पति एवं जंतु जगत का आवास क्षेत्र है। उन्होंने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय की तीन सदस्यीय पीठ के (जस्टिस एल नागेश्वर राव, जस्टिस बी आर गवई, जस्टिस अनिरुद्ध बोस ) तीन जून के आदेश में नेशनल पार्क क्षेत्र में कोई भी स्थाई निर्माण को पूर्णतया के प्रतिबंधित किया गया है। ऐसे में वहां स्थाई हेलीपैड का निर्माण किया जाना सर्वोच्च न्यायालय के आदेशों का भी उल्लंघन है। उनका कहना है कि यदि सिर्फ इस उद्देश्य के लिए कि आपदा और आपात स्थिति में हवाई सेवा की आवश्यकता होगी, यह निर्माण किया जा रहा है, तो गोविंदघाट से घांघरिया तक हवाई सेवा पहले से ही उपलब्ध है। घांघरिया से मात्र पांच किलोमीटर की दूरी है, वहां भी हेमकुंड गेट के पास पूर्व में हैलीकॉप्टर उतरा है। आपात स्थिति में इसका उपयोग किया जा सकता है। साथ ही सरकार की ओर से यहां रोपवे प्रस्तावित है, जिस पर शीघ्र कार्य प्रारंभ होने जा रहा है। रोपवे बन जाने पर हवाई सेवा की आवश्यकता स्वतः ही समाप्त हो जाएगी। ऐसे में जनता के धन का यह अपव्यय भी अनुचित ही है। उन्होंने सरकार से कहा है कि उत्तराखण्ड का यह क्षेत्र जैव विविधता का खजाना है। इसी को देखने व यहां के प्राकृतिक सौंदर्य के दर्शन करने और यहां के वातावरण की शुद्धता एवं शांति का आध्यात्मिक आनन्द लेने दुनिया भर से पर्यटक यहां आते हैं, यदि इस शांति को सौंदर्य को नष्ट कर दिया गया प्रदूषित कर दिया गया तो यह क्षेत्र की जैव विविधता एवं राज्य के पर्यटन के लिए भी घातक होगा। उन्होंने सरकार से मांग की है कि नन्दादेवी नेशनल पार्क के संवेदनशील क्षेत्र में बन रहे इस हैलीपैड पर तुरन्त रोक लगाएं। अन्यथा की स्थिति में क्षेत्र की जनता के सम्मुख आंदोलन ही विकल्प है।

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