जोशीमठ (चमोली)। चमोली जिले के जोशीमठ भूधंसाव के प्रभावितों की 11 सूत्री मांगों पर मुख्यमंत्री के आश्वाशन पर दो माह बीत जाने पर भी कोई जमीनी ठोस कार्रवाई न होने पर से लोगों में आक्रोश पनप रहा है। प्रभावितों ने गुरूवार को उपजिलाधिकारी जोशीमठ के माध्यम से एक ज्ञापन भेजकर मुख्यमंत्री को अपनी समस्याओं की ओर उनका ध्यानाकर्षण किया है। प्रभावितों ने एक दिवसीय धरना भी दिया।
जोशीमठ बचाओ संघर्ष समिति के संरक्षक अतुल सती का कहना है कि जोशीमठ के आपदा प्रभावित अपनी विभिन्न मांगो के संदर्भ में तीन माह आंदोलन के बाद आठ अप्रैल मुख्यमंत्री उत्तराखंड ने संघर्ष समिति के प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात के समय सभी मांगों पर सहमति व्यक्त की थी। किंतु दो माह से अधिक बीतने पर भी अभी उन मांगों पर कोई कार्रवाई नहीं हुई है। जो सरकार की संवेदनहीनता को प्रदर्शित करता है। उन्होंने कहा कि गुरूवार को एक बार फिर से सीएम का ध्यान इस ओर आकर्षित करने के लिए उन्होंने एक ज्ञापन भेजा है। उन्होंने सीएम से मांग की है कि क्षेत्रवासियों की समस्या का समाधान तत्काल किया जाए। एक दिवसीय धरना देने वालों में पूनम देवी, जानकी देवी, पुष्पा देवी, जानकी देवी, आशा देवी, रमा देवी, चंपा देवी, गीता देवी आदि शामिल थे।
प्रभावितों की मांग
सम्पूर्ण जोशीमठ को आपदा प्रभावित घोषित करते हुए प्रभावित वर्गों को हुए नुकसान की भरपाई की जाय। जिसमें दूध व्यवसाईयों, दैनिक मजदूरों, पर्यटन पर निर्भर लोगों, व्यवसाइयों एवं कृषकों को हुए नुकसान की भरपाई की जाए।
जोशीमठ की आपदा के संदर्भ में देश की शीर्ष आठ संस्थाओं ने सर्वेक्षण अध्ययन किया गया है। उनके अध्ययन की रिपोर्ट को शीघ्र सार्वजनिक किया जाना चाहिए। जिससे लोगों में व्याप्त तमाम आशंकाओं का समाधान हो सके।
जोशीमठ में बहुत सी बेनामी भूमि पर लोग काबिज हैं। जिससे इस आपदा काल में लोगों के सामने भूमिहीन होने का संकट खड़ा हो गया है। अतः स्थानीय स्तर पर भू बन्दोबती कर लोगों के खातों में भूमि दर्ज की जाए।
स्थानीय निवासियों की सेना को गयी भूमि का भुगतान करवाया जाय, जिससे इस आपदा काल में लोगों को आर्थिक सहायता हो सके।
सरकार की ओर से घोषित मुआवजा नीति में होम स्टे को व्यावसायिक श्रेणी से हटाया जाय।
बेघर हुए प्रभावितों की स्थाई विस्थापन पुनर्वास की व्यवस्था न होने तक वैकल्पिक व्यव्स्था कम से कम साल भर तक की जाए।
तपोवन विष्णुगाढ़ जल विद्युत परियोजना की निर्मात्री एंटीपीसी कंपनी कम्पनी के साथ हुए 2010 के समझौते को लागू किया जाय।
तपोवन विष्णुगाड़ परियोजना एवम हेलंग मारवाड़ी बाईपास पर स्थाई रोक लगे।
जोशीमठ के स्थाईकरण एवम नव निर्माण के कार्यों की मॉनिटरिंग के लिये कमेटी बने, जोशीमठ बचाओ संघर्ष समीति इस कमेटी में शामिल की जाए।
सरकार की ओर से अभी दिये जा रहे भवनों के मुआवजा देने की प्रक्रिया को आसान बनाया जाए।
जोशीमठ में विस्थापन एवम पुनर्वास हेतु एक स्थाई कार्यालय शीघ्र प्रारंभ किया जाए।