जोशीमठ (चमोली)। चमोली जिले के जोशीमठ ब्लाॅक के तपोवन-रैंणी आपदा में प्रभावित नेपाली मूल के परिवारों को उच्च न्यायालय के आदेशों के बाद भी कोई सुविधा उपलब्ध नहीं हो पा रही है। जिसके चलते आपदा से प्रभावित नेपाली मजदूर परिवार के साथ दर-ब-दर भटकने को मजबूर हैं। जबकि प्रशासन की ओर से बाहरी राज्यों और नेपाली मूल के लोगों की मदद के लिये कोई प्रावधान न होने की बात कही जा रही है।

बता दें फरवरी माह में तपोवन-रैंणी क्षेत्र में आई आपदा के दौरान बड़ी संख्या में बाहरी राज्यों और नेपाली मूल के मजदूर भी प्रभावित हो गये थे। आपदा के बाद जहां प्रशासन की ओर से स्थानीय प्रभावितों को नियमों के अनुरुप मदद प्रदान की गई। लेकिन आपदा नियमावली में कोई प्रावधान न होने के चलते वर्तमान तक नेपाली मूल के मजदूरों को कोई मदद नहीं दी जा सकी है। ऐसे में ये परिवार दर-दर की ठोकरें खाने को मजबूर हैं। उत्तराखण्ड उच्च न्यायालय की अधिवक्ता सुरभी साह का कहना है कि उच्च न्यायालय की ओर से मामले में चमोली जिला प्रशासन को नेपाली मजदूरों के लिये व्यवस्था बनाने के आदेश दिये गये थे। लेकिन प्रशासन की ओर से वर्तमान तक कोई व्यवस्था नहीं बनाई जा सकी है। जिसके चलते इन परिवारों को खासी दिक्कतें झेलनी पड़ रही हैं।

 

आपदा नियमों में बाहरी देश के लोगों को मुआवजा दिये जाने का कोई प्रावधान नहीं है। जिसके चलते नेपाली मूल के मजदूरों को मदद देने में दिक्कतें आ रही हैं। वहीं प्रभावित नेपाली मजदूरों को प्रशासन की ओर उनके घर भेजने की व्यवस्था बनाये जाने की बात पर भी मजदूर घर जाने को तैयार नहीं हैं। हालांकि जिलाधिकारी और मेरे द्वारा निजी प्रभावितों को यथा संभव मदद दी जा रही है।

कुमकुम जोशी, उपजिलाधिकारी, जोशीमठ।

 

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