गोपेश्वर (चमोली)। उत्तराखण्ड बाल संरक्षण आयोग की ओर से बाल अधिकार एवं सुरक्षा पर सोमवार को चमोली जिला मुख्यालय गोपेश्वर में एक दिवसीय जागरूकता एवं संवेदीकरण कार्यशाला का आयोजन किया गया।

कार्यशाला का शुभारंभ उत्तराखंड बाल संरक्षण आयोग की अध्यक्ष डॉ. गीता खन्ना ने किया। उन्होंने कहा कि परिवार ही बच्चे की प्रथम पाठशाला होती है, वहीं बच्चे अच्छा बुरा सीखते हैं। जब हम खुद जागरूक होंगे, तभी अपनी रक्षा कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य यही है कि हम बच्चों की समस्याएं सुन सकें और अधिकारियों से उनके निस्तारण को लेकर चर्चा कर सकें। जो भी बच्चों से संबंधित समस्याएं हैं, मुश्किले हैं, उनका पता लगाकर दूर कर सकें। बच्चों से संवाद करके उन्हें इससे होने वाले दुष्परिणामों के बारे में बताएं। उन्होंने कहा कि अपने बच्चों को किताबी शिक्षा के साथ अपनी संस्कृति के बारे में बताएं। एक प्रशासक के रूप में, माता-पिता के रूप में, एक शिक्षक के रूप में हम सब लोग मिलकर इस नवयुवा भारत के निर्माण में अपनी भूमिका सुनिश्चित करें। इस दौरान उन्होंने शिक्षा विभाग को दिव्यांग बच्चों की शिक्षा की पूर्ण व्यवस्था करने तथा चिकित्सा विभाग को दिव्यांग प्रमाण पत्र बनाने को कहा। इसके बाद अध्यक्ष ने बालमित्र थाने का निरीक्षण किया और इसके सुचारू संचालन के निर्देश दिए।

उत्तराखण्ड बाल अधिकार आयोग के सदस्य विनोद कपरूवाण ने कहा कि बच्चों के सर्वांगीण विकास में आयोग का महत्वपूर्ण योगदान होता है। समय-समय पर आयोग की ओर से जागरूकता कार्यशाला का आयोजन किया जाता है। इस दौरान उन्होंने चाइल्ड हेल्पलाइन नम्बर 1098 के बारे में जानकारी दी। कार्यशाला में बाल श्रम के साथ साथ साइबर क्राइम टोल फ्री नम्बर 1930 की जानकारी दी गयी। बताया कि अब आपके साथ कोई साइबर अपराध होता है तो 1930 पर तुरंत कॉल करें। अनचाहे लिंक पर क्लिक न करें। अपना एटीएम नंबर, पिन, ओटीपी किसी से साझा करें। इस दौरान अनुसचिव एसके सिंह, जिलाधिकारी संदीप तिवारी, एसपी सर्वेश पंवार, सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण पुनीत कुमार, एसडीएम चमोली आरके पाण्डेय, डीपीओ हिमांशु बडोला आदि मौजूद थे।

 

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