श्रीनगर (पौड़ी गढ़वाल)।  हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय के राजनीति विज्ञान विभाग में मंगलवार को संकल्प दिवस मनाया गया।

गौरतलब है कि 22 फरवरी 1994 को भारत सरकार ने ध्वनि मत से एक संकल्प प्रस्ताव भारत की संसद में पारित किया था। जिसमें स्पष्ट रूप से कहा था कि पूरा कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है और इसे हम वापस लेकर रहेंगे। इस दिन से प्रतिवर्ष 22 फरवरी को संकल्प दिवस मनाया जाता है। जिसका आशय जम्मू कश्मीर के महत्व को विशेषतः रेखांकित करना है।  जम्म कश्मीर का कुल क्षेत्रफल लगभग 222236 वर्ग किमी है जिसमें से लगभग 55.5 भाग पर पाक और चीन का अनधिकृत कब्जा है। इनमें पाक अधिकृत कश्मीर में मीरपुर और मुजफ्फराबाद क्षेत्र हैं, जिनका कुल क्षेत्रफल लगभग 13296 वर्ग किमी है। पाक अधिकृत लद्दाख में गिलगित और बाल्टिकस्तान क्षेत्र हैं, जिनका कुल क्षेत्रफल लगभग 72970 वर्ग किमी  है। अक्साई चिन और शक्सगाम के इलाके पर चीन का अवैध कब्जा है, जिसका क्षेत्रफल लगभग 37555 वर्ग किमी है ।

इस अवसर पर राजनीति विज्ञान विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. एमएम सेमवाल ने कहा कि यह संकल्प उस समय पारित किया गया जब 1990 के दशक में अलगाववादी आंदोलन तथा उसके बाद पाकिस्तान-अमेरिका मित्रता से इस मुद्दे पर अंतरराष्ट्रीय स्तर से भारत कमजोर पड़ने लगा था। इस लिहाज से भारत की जम्मू, कश्मीर और लद्दाख नीति के संदर्भ में तत्कालीन रूप से संसद द्वारा 22 फरवरी 1994 को पारित प्रस्ताव अत्यंत महत्वपूर्ण एवं आवश्यक दस्तावेज है। उस बेहद महत्वपूर्ण समय में संसद द्वारा पारित इस प्रस्ताव का उद्देश्य था कि यह स्पष्ट करना था कि  “संसद पाकिस्तान और पाक अधिकृत कश्मीर में चल रहे आंतकी शिविरों पर गंभीर चिंता व्यक्त करती है। सदन का एकमत है कि सीमापार से आतंकियों को हथियारों व धन की आपूर्ति के साथ-साथ वैचारिक रूप से भी मदद कर घुसपैठियों को भारत में दाखिल करने में लगातार मदद दी जा रही है। सदन भारतीय गणराज्य की जनता की तरफ से घोषणा करता है कि पीओके भारत का अभिन्न अंग है तथा भविष्य में भारत अपने इसके विलय का हरसंभव प्रयास करेगा। भारत में इसकी पर्याप्त क्षमता और संकल्प है कि उन ताकतों का उचित जवाब दे जो देश की एकता, प्रभुसत्ता और क्षेत्रीय अखंडता के खिलाफ हो। सदन ने एकमत से इस संकल्प को दोहराया कि भारत के आंतरिक मामलों में किसी भी तरह से अनुचित हस्तक्षेप का हरसंभव कठोर जवाब दिया जाएगा”। इसके साथ ही उन्होंने जम्मू तथा कश्मीर के सांस्कृतिक, सामरिक, आर्थिक तथा भू-राजनीतिक महत्व को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि जिस तरह से आज पाक-चीन गठजोड़ भारत को सामरिक-आर्थिक चुनौती पेश कर रहा है इस स्थिति में संकल्प दिवस के प्रस्तावों पर गौर करना और भी महत्वपूर्ण हो जाता है साथ ही हमारे जनप्रतिनिधियों को भी ना सिर्फ संसद के भीतर बल्कि आमजनमानस में भी भारत की इस स्थिति को लेकर जागरूकता बढ़ानी चाहिए तभी भारत की अखंडता तथा संप्रभुता की असल मायनों में रक्षा हो सकती है। इस अवसर पर राजनीति विज्ञान विभाग के प्राध्यापकगण, शोधार्थी तथा स्नातक एवं स्नातकोत्तर कक्षाओं के विद्यार्थीयों ने भी अपने विचार व्यक्त किये।

 

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