उत्तराखंड के हर पहाड़ के सर्पीले रास्तों से लेकर शहर की गलियों तक पहुंचा रही सवारियां

हेम मिश्रा

देवाल (चमोली)। यदि मन में हौसला हो तो कोई काम कठिन नहीं है। कहा जाता है कि हौसला हो तो बिना पंख के भी उड़ान भरी जा सकती है। यदि आप कुछ करने की ठान लो तो कोई भी विषम परिस्थिति आपका कुछ नहीं बिगाड़ सकती है। ऐसा ही कुछ कर दिखाया है चमोली जिले के दूरस्थ विकास खंड देवाल के अंतिम गांव वाण की बीना देवी ने। बीना देवी ने स्वरोगार के लिए टैक्सी परमिट के अल्टोकार को रोजगार का जरिया बनाया और आज उत्तराखंड के हर इलाके में सवारियों को बुकिंग पर पहुंचा कर अच्छा खासा धन अर्जित कर लेती है। बीना ने पहाड़ की महिलाओं के लिए एक मिशाल भी कायम की है।

देवाल विकास खंड के अंतिम गांव वाण निवासी 34 वर्षीय बीना देवी का परिवार आर्थिक रूप से काफी कमजोर था। बीना का मायका देवाल के ही हरनी गांव में है। पिता की स्थिति भी ठीक ठाक नहीं थी। लिहाजा हाईस्कूल करने के बाद 2010 में उसकी शादी वाण गांव के सुरेंद्र सिंह से हुई। सुरेंद्र सिंह भी टूरिस्ट गाइड का काम करते है। उनकी हालत भी कुछ खास ठीक नहीं थी। ऐसे में बीना ने परिवार की आर्थिकी बढ़ाने के लिए स्वयं भी रोजगार करने का मन बनाया, लेकिन हाईस्कूल पास और उसके उपर सरकारी नौकरियों अभाव, ऐसे में कौन सा रोजगार अपनाया जाए, जिससे उसका परिवार खुशहाल हो सके। बीना कहती है कि उसे बचपन से ही गाड़ी चलाने का बड़ा शोक था, लेकिन परिवार के हालात ऐसे न थे कि वाहन ले पाते। उसकी यह इच्छा मन ही में रह गयी लेकिन जब उसने रोजगार करने की सोची तो उसने अपने दिल की बात अपने परिजनों को बतायी। पहले तो सबसे ना नुकुर किया लेकिन बाद में मान गये। और 2016 में बीना ने वाहन चलाने ट्रेनिंग ली। जिसके बाद उन्होंने बैंक से ऋण लेकर एक टैक्सी खरीदी और आज वह उत्तराखंड के हर कौने में देवाल से बुकिंग में कार ले जाती है। 

क्या कहती है बीना

मुझे बचपन से वाहन चलाने का शौक था। मेरी बुआ और पति ने मुझे वाहन चलाने को लिए सपोर्ट किया। आज में पूरे उत्तराखंड में कार चलाती हूं। गरीबी ने मुझे ड्राइवर बनाया है। इस युग में प्रत्येक महिला की वाहन चलाना सीखना चाहिए।

बीना देबी ग्राम वाण देवाल।

 

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