गोपेश्वर (चमोली)। स्व. हेमवतीनंदन बहुगुणा की जयंती पर बहुगुणा विचारमंच गढ़वाल-कुमाऊं की ओर से रविवार को ”पलायन कारण एवं निवारण“ विषय पर एक गोष्ठी का आयोजन किया गया, जिसमें स्व. बहुगुणा की ओर से पहाड़ों से पलायन रोकने के लिये कारगर योजनाओं के बारे में विस्तृत जानकारी दी गयी। उत्तर-प्रदेश के मुख्यमंत्री रहते हुए उत्तराखंड के पिथौरागढ़, चमोली, उत्तरकाशी, पौड़ी, टिहरी, अल्मोड़ा व नैनीताल जनपदों के लिये तत्समय केंद्र से अलग से चार सौ करोड़ रुपयों (वर्तमान में चार हजार करोड़) का अतिरिक्त बजट केंद्र से स्वीकृत कराया था।
गोष्ठी में बदरीकेदार के पूर्व विधायक कुंवर सिंह नेगी ने कहा कि स्व. बहुगुणा ने गढ़वाल व कुमाऊं विकास निगम की स्थापना कर यहां के विकास के लिए कार्य किये थे। उन्होंने कहा कि तीर्थों को पर्यटन से जोड़ा, साथ ही पलायन पर प्रभावी रोक लगाने के लिए देहरादून व अल्मोड़ा में होटल मैनेजमेंट इंस्टीट्यूट की स्थापना वर्ष 1975 में करवाई ताकि यहां का नौजवान पर्यटन के क्षेत्र में स्वरोजगार बना सके, शिक्षा के लिये गढ़वाल विश्वविद्यालय व कुमाऊं विश्वविद्यालय की स्थापना की, देहरादून जनपद को मेरठ कमिश्नरी से गढ़वाल कमिश्नरी में शामिल करने का दूरदर्शी कदम उठाया था।
इस मौके पर बहुगुणा विचार मंच के संयोजक अधिवक्ता हरीश पुजारी ने कहा कि अनुसूचित जाति-जनजाति के आरक्षण के अतिरिक्त दूरस्थ हिमाच्छादित पर्वतीय क्षेत्रों के छात्र-छात्राओं को अलग से मेडिकल, इंजीनियरिंग व उच्च शिक्षण संस्थाओं में पांच फीसदी आरक्षण की व्यवस्था प्रवेश में की गई थी। भविष्य में टिहरी बांध से उत्पन्न होने वाली बिजली का 10 फीसदी पर्वतीय क्षेत्रों को निःशुल्क वितरण का आदेश वर्ष 1975 में जारी किया, फौज में भर्ती के लिये सीने व लम्बाई की माप में पहाड़ों के नवजवानों को छूट प्रदान केंद्र से करवायी, सीमांत तहसीलें जो चीन की सीमा से जुड़ी थी उनके लिये फौज में हाई स्कूल उत्तीर्ण तक की छूट दी।
गोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए जिला पंचायत के पूर्व अध्यक्ष लखपत सिंह बुटोला ने कहा कि पलायन रोकने की स्व. बहुगुणा की मुहिम को आगे बढ़ाते पर जोर देते हुए कहा कि बन्दरों व जंगली जानवरों से छुटकारा, पहाड़ों में निवास करने वालों को बिजली के बिलों से निजात, जलकर, भवनकर से छूट और इन टैक्सों की भरपाई जल विद्युत परियोजनाओं के मालिकों से जलकर, भवनकर के रूप में ली जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि पर्यटकों के लिए स्वर्गारोहण पर्यटन ट्रैक बनाया जाए जिसमें पांडवों के स्वर्गारोहण की तर्ज पर कुरुक्षेत्र से कुमाऊं होते हुए गढ़वाल के पाणुवाखाल, कर्णप्रयाग, रुद्रप्रयाग, गौरीकुंड, केदारनाथ, भीमपुल, सतोपंथ, स्वर्गारोहिणी होते हुए स्वर्ग जाने का मार्ग विकसित हो, ताकि आगामी पीढ़ी देश-विदेश की इस ऐतिहासिक घटना के साक्षी बन सके। इस मौके पर शेखर रावत, पूर्व प्रमुख नन्दन बिष्ट, सुदर्शन कठैत, रेखा पुजारी, किशन सिंह फस्र्वाण समीर बहुगुण, मनोज भट्ट, जगदीश नैनवाल, मदन मिश्रा, भूपाल सिंह रावत, भरत सिंह रावत आदि ने अपने विचार रखे।
