- नवंबर 2017 में तत्कालीन सीएम त्रिवेंद्र रावत के काफिले को जाम करने का लगा था आरोप
- अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट कर्णप्रयाग की अदालत में छह साल तक चला मुकदमा
- अभियोजन पक्ष नहीं कर सका दोष सिद्ध, कोर्ट ने सातों आरोपितो को किया बरी
कर्णप्रयाग (चमोली)। ऋषिकेश-बदरीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग पर जाम लगाने के आरोप में मुकदमा झेल रहे सात लोगों को अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट कर्णप्रयाग की अदालत ने दोषमुक्त करार दिया। आरोपी मामले के विचारण के दौरान जमानत पर थे।
बचाव पक्ष के वकील दिनेश नैनवाल ने बताया कि चार नवंबर 2017 को तत्कालीन सीएम त्रिवेंद्र रावत बीर सैनिक शहीद सूरज तोपाल के अंतिम संस्कार में कर्णप्रयाग पहुंचे थे। अंत्येष्ठि के बाद जब वे वापस लौट रहे थे तो राजेंद्र सगोई, अनीता नेगी, बीरेंद्र मिंगवाल, राजेश नेगी, पुष्कर रावत, संजय रावत और देवेंद्र रावत तत्कालीन सीएम त्रिवेंद्र रावत के पास सीएचसी कर्णप्रयाग में हुई महिला और उसकी बच्ची की मौत में लापरवाही बरतने वालों पर कार्रवाई की मांग को लेकर उमा देवी तिराहे पर मोटर पुल के पास ज्ञापन देने गए। उसके बाद पुलिस ने मामले में सातों लोगों के खिलाफ बदरीनाथ राजमार्ग जाम करने सहित आईपीसी की कई अन्य धाराओं में मुकदमा दर्ज किया। कोर्ट में विचारण के दौरान अभियोजन पक्ष ने नौ गवाहों को पेश कर उनके लिखित बयान दर्ज कराए। अभियोजन व बचाव पक्ष के वकीलों की बहस सुनने के बाद सोमवार को अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट छवि बंसल की अदालत ने मामले में सातों आरोपियों को दोषमुक्त करार दिया।
क्या था मामला
सीएचसी कर्णप्रयाग में तीन अक्तूबर 2017 को कपीरी क्षेत्र की एक महिला प्रसव के लिए पहुंची थी, लेकिन स्वस्थ बच्चे को जन्म देने के बाद उसकी और फिर 5 अक्तूबर को नवजात की मौत हो गई। तब अस्पताल प्रशासन पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए प्रदर्शन किया गया था। मामले में एक जांच कमेटी बनाई गई थी, जिसमें जच्चा और बच्चा की मौत में अस्पताल की लापरवाही भी सामने आई थी। लापरवाही बरतने वालों पर कार्रवाई की मांग को लेकर नगर के उमा देवी तिराहे पर आंदोलन चल रहा था। इसी दौरान कपीरी पट्टी के सूरज तोपाल देश की रक्षा करते हुए शहीद हो गए थे और तत्कालीन सीएम त्रिवेंद्र रावत शहीद जवान की अंत्येष्ठि में कर्णप्रयाग पहुंचे थे।