गोपेश्वर (चमोली)। सीमांत जनपद चमोली के 63 वर्षीय नौरख गांव (पीपलकोटी) निवासी जागर लिख्वार (लेखक) बहादुर सिंह भंडारी के निधन मंगलवार की रात्रि को देहरादून में उनकी पुत्री के निवास स्थान पर हुआ। बुधवार को हरिद्वार में उनका अंतिम संस्कार किया गया। उनकी मृत्यु की सूचना से चमोली के बंड क्षेत्र में शोक की लहर दौड़ पड़ी है।

7 फरवरी 1960 को जन्में बहादुर सिंह भंडारी जीवनपर्यन्त सामाजिक सरोकारों से जुड़े रहे। लोग उन्हें जागर लिख्वार के नाम से जानते थे। वे बीते चार दशको से लोकजागरों के संरक्षण में जुटे हुये थे। इन्होने 100 से अधिक जागरों को लिपिबद्ध किया और उनका संरक्षण किया। इन्होने सिद्वा-बिद्वा, नरसिंह-भेरों, से लेकर नंदा राजजात, नाग देवता, महाभारत से लेकर हिमालयी बुग्यालों पर जागरों को लिपिबद्ध किया है। इनके कई जागरों को जागर गायिका पम्मी नवल ने भी अपनी आवाज दी है। इन्होंने 100 से अधिक दांकुड़ी, झुमेलो, चैंफला गीत और गढ़वाली कवितायें, हिंदी कवितायें भी लिखी थी। इसके अलावा इन्होंने लगभग 200 से अधिक गढ़वाली में ओखाण (पखाने) भी लिखे। उन्होने जागृति क्लब नौरख के तत्वावधान में रामलीला का आयोजन किया जबकि शिवालिक स्पोर्ट्स क्लब के माध्यम से क्रिकेट प्रतियोगिता आयोजित करवायी।

बंड विकास संगठन के पूर्व अध्यक्ष अतुल शाह ने कहा की वे न केवल एक नेक इंसान थे अपितु मिलनसार, सरल, मृदुभाषी, खेलप्रेमी, लोकसंस्कृतिकर्मी व्यक्तित्व के धनी थे। उनके जाने से बंड पट्टी में शोक की लहर दौड़ पडी है।

 

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