उपरी स्थानों पर बर्फवारी तो नीचले स्थानों पर हो रही बारीश
शीतलहर से जनजीवन अस्त-व्यस्त, लोग घरों में दुबके
जोशीमठ (चमोली)। जिसका डर था वही हुआ और आखिर में मौसम ने भी करवट बदल डाली। शुक्रवार तड़के से ही जनपद के उंचाई वाले स्थानों पर जमकर बर्फवारी हो रही है जबकि नीचले क्षेत्रों में बारीश के कारण कड़ाके की ठंड पड़ रही है। जिससे जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है। सबसे ज्यादा मुश्किल हालात जोशीमठ के हैं जहां पर भूधंसाव के चलते प्रभावित अपने घरों को छोड़ राहत कैंप में रह रहे है, अब जब यहां पर बर्फवारी हो रही है ऐसे में लोगों की मुसीबत और भी बढ़ सकती है साथ भूधंसाव की गति में तेजी आने का अंदेशा भी व्यक्त किया जा रहा है। जिससे लोगों में डर बना हुआ है।
शुक्रवार की तड़के से ही चमोली जिले के उंचाई वाले स्थान बदरीनाथ, हेमकुंड, औली, जोशीमठ, पाणा-ईराणी, समेत अनेक स्थानों पर जमकर बर्फवारी हो रही है, वहीं नीचले स्थानों पर बारीश के कारण ठंड बढ़ने लगी है। ठंड के बढ़ते प्रकोप के कारण लोग अपने घरों में दुबके हुए है। ईराणी के प्रधान मोहन सिंह नेगी का कहना है कि सुबह से ही हो रही भारी बर्फवारी के कारण उनके क्षेत्र में आधा फीट तक बर्फ जम गई है। लोग घरों में ही दुबके हुए है। सबसे ज्यादा परेशानी मवेशियों के लिए चारापत्ति का बन गया है। हालांकि अभी एकाध दिनों तक तो इस परेशानी से बचा जा सकता है लेकिन मौसम विभाग ने जिस तरह से चार दिनों तक पहाड़ों में भारी बर्फवारी की चेतावनी दी है उससे परेशानी बढ़ सकती है।
इधर जोशीमठ में भी सुबह से ही बर्फवारी हो रही है। जिससे अब प्रभावितों की चिंताऐं भी बढ़ने लगी है। राहत शिविरों में रह रहे लोगों को अपने मवेशियों के लिए चारापत्ति देने के लिए भी अपने गोशालाओं तक पहुंच पाना कठिनाई भरा हो रहा है। साथ ही घरों में भूधंसाव के कारण पड़ी दरारे बढ़ने का खतरा भी लोगों को सताने लगा है।
जोशीमठ बचाओ संघर्ष समिति के संयोजक अतुल सती का कहना है कि आपदा सचिव डा. रंजीत सिन्हा जोशीमठ में दरारें मिट्टी से दबा ढंका रहे थे। उनका विज्ञान था कि इससे दरारों के रास्ते पानी अंदर नहीं जाएगा। अब जब बर्फ अभी तक ही एक फीट के लगभग गिर चुकी है और जारी है तो बर्फ का पानी भीतर सीपेज होने से कैसे रोकेंगे। यह अचानक तो नहीं हुआ है। मौसम ऐसा होगा यह तो अनुमान था ही। तब जो वक्त रहते करना था किया नहीं। वह तो आश्वस्त है कि हमारे दबाब के चलते खतरे वाले अधिकांश घरों को खाली करवा दिया गया है। जिससे लोगों की जान तो बची है। भले ही छह सौ से ज्यादा दरार वाले घरों में लोग अभी भी रह ही रहे हैं। इन घरों की दरारें बर्फ के बाद और गहरी होंगी। तब ये भी खतरे में आएंगे। बहुत से घरों का तो ठीक से सर्वेक्षण ही नहीं हुआ है। जब बंद पड़े भीतरी जल स्रोत और नाले बर्फ से रिचार्ज हो सक्रीय होंगे तो जमीन के खिसकने की रफ्तार बढ़ेगी। ऐसे में आंशिक दरारों एवं धंसाव वाली जगहों, घरों पर गम्भीर खतरा होगा। इसीलिए हमने अधिकांश आबादी को तत्काल सुरक्षित स्थानों पर शिफ्ट करने की बात कही थी। उन्होंने कहा कि जब पूरा नगर ही धंसाव की जद में है ऐसे में बर्फबारी से यह खतरा बढ़ेगा ही। तब जोशीमठ के ही होटलों में रह रहे लोग कितने सुरक्षित रहेंगे पता नहीं। क्योंकि बर्फबारी की चेतावनी आगे भी है। उन्होंने आपदा सचिव से अपील की है कि वे अपना विज्ञान लोगों को सुरक्षित करने में लगायें न कि कंपनी को बचाने में।