मुख्य सचिव डॉ. एसएस संधु की अध्यक्षता में मंगलवार को सचिवालय में राज्य गंगा समिति की बैठक आयोजित हुयी। मुख्य सचिव ने गंगा के अंतर्गत स्ट्रेचवाईज समितियों का गठन किए जाने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि आमजन का अभियान बनाने के लिए इन समितियों में स्थानीय बुद्धिजीवी एवं गंगा की स्वच्छता के लिए गम्भीर लोगों को शामिल किया जाए। कहा कि इससे लगातार निगरानी रखी जा सकेगी। उन्होंने जिलाधिकारियों को अच्छा कार्य करने के लिए चिन्हित कर सम्मानित भी किया जाए।

मुख्य सचिव ने मुख्यमंत्री द्वारा की गई घोषणा ‘स्प्रिंग एंड रिवर रिजुविनेशन बोर्ड’ में भी अधिक से अधिक आमजन की भागीदारी सुनिश्चित किए जाने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि गंगा में दूषित पानी सीधे न जाए, इसके लिए एसटीपी को नदियों से दूर बनाकर उसके पानी को कृषि कार्यों में प्रयोग किया जाए। इसके लिए एक स्थान पर बड़ा प्लांट लगाने के बजाए विभिन्न स्थानों पर छोटे-छोटे प्लांट लगाए जाने चाहिए। उन्होंने एसटीपी का वार्षिक सोशल ऑडिट किए जाने के भी निर्देश दिए। कहा कि सोशल ऑडिट के लिए किसी एक एजेन्सी को कार्य देने के बजाए विभिन्न एजेंसियों को इसमें शामिल किया जाए।

मुख्य सचिव ने घने वनीकरण पर भी फोकस किए जाने के निर्देश देते हुए कहा कि नदियों के किनारे जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए अधिक से अधिक लोगों को जोड़ा जाए। उन्होंने कहा कि शुरूआती वर्षों में इससे उत्पादन कम मिलता पर परन्तु 2-3 वर्षों के बाद इसमें उत्पादन बढ़ना शुरू होता है और इसके अच्छे मूल्य मिलने से शीघ्र ही यह खेती लाभदायक हो जाती है। उन्होंने कहा कि शुरूआती 2-3 वर्षों के लिए किसानों को सपोर्ट देने के लिए कोई योजना संचालित की जा सकती है।  इस अवसर पर प्रमुख सचिव आर.के. सुधांशु, सचिव अरविन्द सिंह ह्यांकी, सचिन कुर्वे, उदयराज, अपर सचिव शहरी विकास नवनीत पाण्डेय सहित अन्य अधिकारी एवं राज्य गंगा समिति से सम्बन्धित अन्य संस्थानों के प्रतिनिधि सहित जनपदों से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से जिलाधिकारी उपस्थित थे।

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