जिलाधिकारी कार्यालय पर दिया धरना, फूंका सरकार का पुतला
छात्र व बेरोजगार डीएम से मिलने पर अडे रहे
गोपेश्वर (चमोली) । उत्तराखंड के तमाम विभागों में हुए भर्ती घोटाले की सीबीआई जांच की मांग को लेकर सोमवार को छात्रों और बेरोजगार युवाओं का रैला सड़कों पर उतरा। प्रदर्शनकारियों ने चमोली जिला मुख्यालय गोपेश्वर के तिराहे पर सरकार का पुतला दहन करते हुए सरकार के विरोध में नारेबाजी की तथा जिलाधिकारी कार्यालय पर पहुंचकर धरना दिया।
यूकेएसएसएससी से लेकर विधान सभा भर्ती के साथ ही अन्य विभागों में हुई भर्तियों में घोटालेबाजी को लेकर सोमवार को छात्रों और बेरोजगारों का हुजुम सड़कों पर उतरा और सरकार के विरोध में नारेबाजी की। जिसके बाद छात्रों ने तिराहे पर सरकार का पुतला दहन कर डीएम कार्यालय तक जुलूस निकाल कर प्रदर्शन किया। छात्रों ने यहां पर धरना दिया। छात्रों के जुलूस के डीएम कार्यालय पर पहुंचने से कुछ ही समय पहले डीएम किसी कार्य से अपने कार्यालय से बाहर निकल गये। जिससे छात्रों में भारी रोष देखा गया। और उन्होंने डीएम चमोली के विरोध में ही नारेबाजी शुरू कर तब तक वहां से न जाने का निर्णय लिया जब तक डीएम स्वयं उनका ज्ञापन लेने के लिए धरना स्थल पर नहीं आते। हालांकि प्रशासन की ओर से दो बार एडीएम छात्रों के बीच पहुंचे मगर छात्रों ने उनकी एक न सुनी और उन्हें बैरंग ही लौटा दिया। देर सांय तक भी डीएम अपने कार्यालय पर नहीं पहुंचे थे और छात्र धरने पर भी डटे हुए रहे।
बेरोजगार युवा और छात्र सोनम बिष्ट, अंजली, पुनम, संगीता, रविना, दीपशिखा, प्रकाश, सतीश, मनोज, विपिन, रोहित, धीरज का कहना है कि पिछले पांच सालों से यूकेएसएसएससी में लगातार धांधली होती आ रही है लेकिन सरकारें इसका संज्ञान नहीं ले रहीं हैं वहीं उत्तराखंड राज्य बनने के बाद से विधान सभा में नेता अपने चेहतों को पिछले दरवाजे से भर्ती करते आ रहे हैं जिससे जो बेरोजगार युवा नौकरी की लालसा लिए हुए तैयारी कर रहा है अब वह अपने को ठगा सा महसूस कर रहा है।
उन्होंने इस बात पर भी अफसोस जाहिर किया कि बेरोजगार और छात्र अपनी मांग को लेकर डीएम के माध्यम से मुख्यमंत्री को ज्ञापन भेजने पहुंचे थे लेकिन जिलाधिकारी उनसे मिले ही नहीं जबकि वे जिला मुख्यालय पर ही मौजूद थे। जो इस बात को दर्शाता है कि जिला प्रशासन भी बेरोजगारों के हितों के प्रति संवेदनहीन बना हुआ है।
क्या पक्ष, क्या विपक्ष भर्ती घोटाले आंदोलन से नदारत दिखे कुर्ताधारी नेता
भर्ती घोटाले को लेकर सत्ता पक्ष लेकर विपक्ष सभी एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप करते भी दिख रहे हैं और इसकी जांच की बात भी कर रहे हैं लेकिन जब सोमवार को बेरोजगारों और छात्रों ने भर्ती घोटाले की सीबीआई जांच की मांग को लेकर सड़कों पर उतरे तो एक भी नेता उनके समर्थन में नहीं दिखायी दिया।
डीएम की माफी के बाद माने बेरोजगार युवा और छात्र
सुबह से ही छात्र डीएम को ज्ञापन सौंपने की मांग कर रहे थे लेकिन डीएम छात्रों के बीच नहीं आ रहे थे। जिससे छात्रों में भारी रोष बढ़ता चला गया और जो आंदोलन सरकार के विरोध में चल रहा था वह डीएम की तरफ को मुड़ गया। छात्र डीएम के विरोध में ही मुखर कर नारेबाजी करने लगे। शाम पांच बजे तक भी जब डीएम अपने कार्यालय नहीं पहुंचे तो आंदोलनकारी डीएम आवास पर ही पहुंच गये और बाहर सड़क पर बैठकर डीएम के विरोध में नारेबाजी करने लगे। बाद में किसी तरह प्रशासन के अन्य अधिकारियों की मौजूदगी में डीएम अपने आवास से बाहर निकले और उन्होंने छात्रों से उनके बीच न पहुंचे के लिए माफी मांगी। बाद में आंदोलनकारियों ने अपना ज्ञापन डीएम को सौंपा और वापस लौट गये।
एडीएम के पांच सवालों ने आंदोलन को बनाया उग्र
यूकेएसएसएससी में हुए घोटालों की जांच की मांग को लेकर डीएम को ज्ञापन देने पहुंचे आंदोलनकारियों के ज्ञापन को लेने डीएम के प्रतिनिधि के रूप में एडीएम चमोली युवाओं के बीच पहुंचे तो उन्होंने छात्रों से कहा कि वे आंदोलनकारियों से दस सवाल करेंगे उनमें पांच सवालों का जबाव देना होगा जिससे आंदोलनकारी विफर गये और उन्होंने एडीएम से ही उल्टा सवाल कर डाला कि यदि उन्होंने एडीएम के सवालों का जबाब दे दिया तो क्या वे उन्हें नौकरी दे देंगे। इसी नौकझौंक में आंदोलन की दिशा बदल गयी और आंदोलनकारी डीएम को भी ज्ञापन सौंपने की जिद्द पर अड गये जिससे मामला गर्मा गया जो डीएम के माफी मांगने के बाद ही समाप्त हो पाया।