टिहरी। जिला उद्योग केंद्र टिहरी के प्रबंधक कर्ण सिंह हलदर ने रिर्सोट को केन्द्रीय सब्सीडी देने के नाम पर चार लाख 25 हजार की रिश्वत मांगी थी, जिसके चलते विजिलेंस टीम ने कार्यवाही की थी।
बता दें कि महेश गुप्ता नाम के एक व्यक्ति ने विजिलेंस को 15 अक्टूबर 2012 को शिकायती पत्र सौंपा था। पत्र में व्यक्ति ने बताया कि शिवपुरी क्षेत्रगत टिहरी गढ़वाल में स्थापित किये गये रिर्सोट की स्वीकृती केन्द्रीय सब्सिडी के भुगतान कराये जाने के एवज में जिला उद्योग केन्द्र टिहरी में प्रबन्धक पद पर तैनात कर्ण सिंह हलधर 4 लाख 25 हजार की रिश्वत मांग रहे हैं। जिसमें से एक लाख रूपये लेकर उन्हें 16 अक्टूबर 2012 को अपने कार्यलय में बुलाया।

विजलेंस जांच में आरोप सही पाये जाने पर ट्रैप टीम का गठन किया। टीम ने कार्यवाही करते हुये 16 अक्टूबर 2012 को आरोपी कर्ण सिंह हलधर को जिला उद्योग केन्द्र ढालवाला के पास 1 लाख रुपये की रिश्वत लेते रंगे हाथों गिरफ्तार कर किया। जिसके के विरुद्ध मुकदमा दर्ज किया गया। जिसकी विवेचना तत्कालीन निरीक्षक आरसी कोटनाला ने की, जिन्होंने भौतिक व वैज्ञानिक साक्ष्यों के आधार पर शासन से मुकदमा स्वीकृति प्राप्त करने के बाद आरोपी कर्ण सिंह हलधर के विरूद्ध आरोप पत्र न्यायालय में दाखिल किया।

अभियोजन अधिकारी अनुज साहनी एवं पैरोकार प्रधान आरक्षी सुरेन्द्र सिंह ने न्यायालय में प्रभावी पैरवी करने के बाद दोषी कर्ण सिंह हलधर को सोमवार को विशेष न्यायाधीश सतर्कता अधिष्ठान ने दोषी पाते हुए धारा 7 भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 में पांच साल की सजा व 25 हजार रुपये जुर्माना तथा धारा 13 (2) भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 में पाच वर्ष की सजा व 25 हजार जुर्माने की सजा सुनाई। दोनों सजाएं साथ- साथ चलेंगी।

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