posted on : May 15, 2025 8:10 pm

-पर्वतमाला परियोजना के तहत हेमकुंड साहिब यात्रा मार्ग पर होगा 12.4 किमी रोपवे का निर्माण

गोपेश्वर (चमोली)। चमोली जिले में उच्च हिमालयी क्षेत्र चार हजार तीन सौ 29 मीटर की ऊंचाई पर स्थित श्री हेमकुंड साहिब की यात्रा को सुगम बनाने के लिए केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी रोपवे परियोजना निर्माण को लेकर जिला प्रशासन ने कवायद शुरु कर दी है। यहां पर्वतमाला परियोजना के तहत गोविंदघाट से श्री हेमकुंड साहिब तक 12.4 किलोमीटर लम्बाई की रोपवे का निर्माण किया जाना है। जिससे लेकर गुरुवार को जिलाधिकारी संदीप तिवारी की अध्यक्षता में बैठक आयोजित की गई। इस दौरान परियोजना निर्माण के लिये प्रस्ताव तैयार करने के साथ ही भूमि अधिग्रहण को लेकर चर्चा की गई। जिलाधिकारी संदीप तिवारी ने बताया कि गोविंदघाट-हेमकुंड साहिब रोपवे निर्माण के लिए उत्तराखण्ड पर्यटन विकास परिषद ने एनएचएलएमएल के साथ अनुबंध किया है। हेमकुंड साहिब यात्रा मार्ग पर रोपवे निर्माण के लिए भूमि अधिग्रहण किया जाना है। जिसे लेकर एनएचएलएमएल कंपनी के अधिकारियों की ओर से प्रेजेंटेशन दिखाई गई। जिसके बाद जिलाधिकारी ने निर्माणदायी कंपनी को परियोजना निर्माण से क्षेत्र पर होने वाले सामाजिक और पारिस्थितिक प्रभाव की आकलन रिपोर्ट तैयार करने के निर्देश दिए। ताकि परियोजना का निर्माण सुगमता से किया जा सके।

बैठक में रोपवे विशेषज्ञ नितेश कुमार ने बताया कि एनएचएलएमएल की ओर से रोपवे का विकास किया जा रहा है। जिसका डिज़ाइन ट्रैकटेबल इंजीनियरिंग प्राइवेट लिमिटेड की ओर से तैयार किया गया है। कहा कि गोविंदघाट-हेमकुंड रोपवे परियोजना (12.4 किलोमीटर) में छह स्टेशन निर्मित किए जाएंगे। रोपवे निर्माण के बाद एक घंटे की समयावधि में करीब एक हजार एक सौ तीर्थयात्री हेमकुंड जा सकेंगे। परियोजना को पारिस्थितिकी तंत्र के अनुकूल बनाया गया है। योजना का निर्माण सभी सुरक्षा मानकों ध्यान में रखते हुए किया जाएगा। उन्होंने कहा कि परियोजना का निर्माण 2,730.13 करोड़ की लागत से किया जाएगा।

गौरतलब है कि वर्तमान में तीर्थयात्रियों को हेमकुंड साहिब तक जाने के लिए 18 किमी की पैदल दूरी तय करनी होती है। रोपवे परियोजना के निर्माण के बाद हेमकुंड साहिब की यात्रा पर आने वाले तीर्थया़त्री सुगमता से यात्रा पूर्ण कर सकेंगे। बैठक में अपर जिलाधिकारी विवेक प्रकाश, जिला पर्यटन अधिकारी बृजेंद्र पांडे, भूमि अधिग्रहण विशेषज्ञ सईद, वन विशेषज्ञ आकाश अलकानिया आदि मौजूद रहे।

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