जोशीमठ (चमोली)। पैंखंडी बेटी पूजा कोठियाल को बुलंदी – जज्बातों- कलम के द्वारा हिन्दी साहित्य में उत्कृष्ट अवदान करने पर ” साहित्य श्री ” से सम्मानित किया गया।देहरादून के ताशमिया अकादमी में बुलंदी – जज्बातों- कलम संस्था के द्वारा 10 जनवरी को कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया जिसमें नवोदित व वरिष्ठ कलमकारों ने काव्य पाठ किया । कार्यक्रम का संचालन बादल बाजपुरी जी ने मृतिका बहुगुणा के संयोजन से किया ।कार्यक्रम के मुख्य अथिति समाजसेवक डॉक्टर एस फारुक जी रहे व वरिष्ठ कवि अमर देव बहुगुणा, कवयित्री बीना बेंजवाल जी भी उपस्थित रहे । कार्यक्रम में पूजा कोठियाल ने बेटी बचाओ ,और बेटियों के मोन सवालों पर काव्य पाठ किया ।उनकी काव्य के कुछ अंश “अनचाही किलकारी वो”

शायद आज फिर किसी के गर्भ पर भारी वो।
रूदन कर पूछतीं,मां कैसे जिऊंगी
इस बैरी संसार में?
कैसे आश करू खुद के स्वीकारने की
जब तूने ही छोड़ दिया डर से जमाने की।
रोया तो तेरा दिल भी होगा मां मुझे यूं छोड़ के,
सोचती हूं अपनाया क्यो नही तुने
समाज की बेड़ियों को तोड़ के।

“मां पहले ही उसे उसकी हद बता देती है”

देख मुसीबत आते ही, पहले ही वो डर जाती।
बिना मांगे ही, पीछे हट जाती।
नज़रे मिलाने से पहले ही,पलकें वो झुका लेती।
लड़की हैं वो मां पहले ही उसे उसकी हद बता देती।
सूरज सी वो ,उसके छुपते ही छुप जाती,
ख्वाब तो हैं रोशनी बनने का पर
अंधेरे में कहीं सिमट जाती।
आसमां में उड़ने से पहले ही,
मां उसे पिंजरे का रास्ता दिखा देती।
लड़की हैं वो मां पहले ही उसे उसकी हद बता देती।

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