गोपेश्वर (चमोली)। केंद्रीय बजट पर अपनी त्वरित टिप्पणी देते हुए भाकपा माले के राज्य सचिव इंद्रेश मैखुरी ने कहा कि उत्तराखंड में विधानसभा की अध्यक्ष भराड़ीसैंण में सुविधाओं का अभाव होने के चलते विधानसभा सत्र, देहरादून में आयोजित करने को कह रही हैं, वहीं केंद्रीय वित्त मंत्री की ओर से शनिवार को प्रस्तुत बजट में आंध्रप्रदेश को राजधानी के विकास की आवश्यकताओं को देखते हुए चालू वित्त वर्ष में 15 हज़ार करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है। इस एक आंकड़े से डबल इंजन के तमाम शोरगुल के बीच उत्तराखंड के हासिल का अंदाज़ा लगाया जा सकता है। साफ है कि उत्तराखंड को बजट में कुछ हासिल नहीं हुआ है।
भाकपा माले के राज्य सचिव ने कहा कि पर्यटन को लेकर बजट में कुछ बातें और घोषणाएं की गयी हैं, लेकिन भारत के पर्यटन मानचित्र का प्रमुख राज्य होने के बावजूद उत्तराखंड का उसमें जिक्र तक नहीं है। उत्तराखंड में बदल फटने और भूस्खलन का उल्लेख करते हुए चलताऊ अंदाज में लिख दिया गया है कि “सहायता उपलब्ध करवाएंगे“। यह आपदाओं और उनसे निपटने को लेकर केंद्र सरकार के अगंभीर रुख को ही प्रदर्शित करता है। उन्होंने कहा कि रोजगार सृजन हो या अवसंरचना विकास सब कुछ में योजना केवल निजी क्षेत्र के लाभ और विकास की है। पूरा बजट निजी क्षेत्र के मुनाफे को समर्पित है। इसलिए रोजगार सृजन को लेकर जितना भी शब्द जाल है, उसका लाभार्थी निजी क्षेत्र है। बीमा क्षेत्र को तो शत प्रतिशत विदेशी निवेश के लिए खोल दिया गया है। उन्होंने कहा कि किसानों को अन्नदाता कह देने भर से कृषि क्षेत्र का भला होने वाला नहीं है। किसान तो एमएसपी की गारंटी के कानून के लिए निरंतर संघर्ष कर रहे हैं। उसके प्रति केंद्र सरकार क्रूर उपेक्षा बरते हुए। कृषि क्षेत्र जिस संकट से गुजर रहा है, उससे बाहर निकालने का कोई रास्ता बजट में नहीं है.।प्राकृतिक खेती का नया शिगूफा जरूर छोड़ा गया है। शिक्षक-कर्मचारियों के लगातार विरोध के बावजूद इस बजट में पुनः एनपीएस के राग को अलापा गया है।