देवाल (चमोली)। प्रतिभा किसी चीज की मोहताज नहीं होती है। सोमवार को  उत्तराखंड बोर्ड के 10 वीं और 12 वीं के नतीजे घोषित हो गये हैं। पूरे परीक्षाफल पर सरसरी निगाहें डालेंगे तो पता चलेगा एक बार फिर पहाड़ के गुदडी के लालों नें कमाल कर दिखाया है। विपरीत परिस्थितियों, पढाई के बेहतर माहौल न होंने और शिक्षकों की कमी के बाबजूद पहाड़ की प्रतिभाओं नें अपना लोहा मनवाया है।

वाण गांव की प्रिया बिष्ट नें कक्षा 10वीं की परीक्षा में 79.4 फीसदी अंक हासिल करके पूरे विद्यालय में प्रथम स्थान प्राप्त किया है। जबकि लक्ष्मण सिंह नें 71.8 फीसदी अंक हासिल कर द्वितीय स्थान प्राप्त किया, वहीं 12वीं में लखपत सिंह नें 70.8 फीसदी अंक प्राप्त कर पहला स्थान और सीता नें 66.4 फीसदी अंक हासिल कर दूसरा स्थान प्राप्त किया। राजकीय इंटर कॉलेज के प्रधानाचार्य गजेन्द्र अग्निहोत्री नें बताया की विद्यालय का 12वीं का परीक्षा परिणाम सौ फीसदी रहा। 12वीं में कुल 31 छात्र छात्रायें नें परीक्षा दी जिसमें से पांच को प्रथम स्थान , 16 को द्वितीय स्थान और 10 को तृतीय स्थान प्राप्त हुआ, वहीं 10वीं का परीक्षा परिणाम 90 फीसदी रहा। जिसमें 10 प्रथम स्थान, 14 द्वितीय स्थान, दो तृतीय स्थान और तीन अनुत्तीर्ण रहे। प्रिया नें सर्वाधिक 79.4 फीसदी अंक हासिल कर विद्यालय में प्रथम स्थान प्राप्त किया। उन्होंने कहा कि सीमित संसाधनों और शिक्षको की कमी के बाबजूद छात्र छात्राओं नें बेहतर प्रदर्शन किया है। वहीं अभिभावक संघ के अध्यक्ष हीरा सिंह पहाडी नें परीक्षा में उत्तीर्ण सभी छात्र छात्राओं को बधाई दी और विद्यालय के सभी शिक्षकों को भी बधाई देते हुए कहा कि शिक्षकों की कमी के बाबजूद विद्यालय के शिक्षकों नें शत प्रतिशत अध्यापन का कार्य किया। उन्होंने कहा कि विद्यालय में शिक्षकों के खाली पदों को भरने के लिए शिक्षा विभाग और शिक्षा मंत्री को ज्ञापन भेजा गया है ताकि अतीशीघ्र विद्यालय में शिक्षकों की कमी दूर हो सके। विद्यालय के उप प्रधानाचार्य राजेन्द्र सिंह रावत, शिक्षक सुरेन्द्र दानू, सतेन्द्र मिश्रा, बलवीर राम, राजेन्द्र महर, शिक्षिका पल्लवी नें सभी छात्र छात्राओं को बधाई दी।

गौरतलब है कि वाण गांव सीमांत जनपद चमोली के देवाल ब्लाॅक का सबसे दूरस्थ गांव है जो हिमालय का अंतिम बसागत गांव है। साढे आठ हजार फिट की ऊचाई पर स्थित इस गांव से आगे केवल बुग्याल और बर्फ से ढके पहाड़ नजर आते हैं। यह गांव तीन महीने बर्फ से ढका रहता है। हिमालयी महाकुंभ मां नंदा देवी राजजात यात्रा का अंतिम गांव और लाटू देवता की थाती है ये गांव।

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