गोपेश्वर (चमोली)। चमोली जिले के हाट गांव के परियोजना प्रभावित ग्रामीणों विष्णुगाड़-पीपलकोटी जल विद्युत परियोजना के अधिकारियों पर लोगों को गुमराह करने का आरोप लगाया है। कहा गया है कि कंपनी के अधिकारियों की ओर से हाट के सभी ग्रामीणों को पुर्नवास की धनराशि देने की बात कही जा रही है वह सरासर गलत है। ग्रामीणों ने पुर्नवास को लेकर किये समझौते को पूर्ण करने तक विस्थापन करने से इंकार किया है। यह बात ग्रामीणों ने गुरूवार को गोपेश्वर में पत्रकारों बातचीत करते हुए कही।

चमोली जिले के हाट गांव में बुधवार को जल विद्युत परियोजना कंपनी ने प्रशासन और पुलिस की मौजूदगी में ग्रामीणों के आवासीय भवन और गांव के बगड़वाल देवता के पंचायती मंदिर को ध्वस्त कर दिया है। जिसके विरोध में गुरूवार को ग्राम प्रधान व भाजपा मंडल अध्यक्ष राजेंद्र हटवाल, पंकज हटवाल सहित ग्रामीणों ने कहा कि जहां कंपनी की ओर से शत प्रतिशत पुर्नवास प्रक्रिया पूर्ण करने की बात कही जा रही है, वहीं गांव के 15 परिवारों को अभी विस्थापन के लिये तय राशि का भुगतान नहीं किया गया है। ऐसे में उन्होंने की गई कार्रवाई को गलत बताया है। साथ ही उन्होंने वर्ष 2009 में ग्रामीणों और कंपनी प्रबंधन के मध्य हुए समझौते पर कार्रवाई किये बिना भवनों के ध्वस्तीकरण की कार्रवाई का विरोध किया है। उन्होंने कहा कि जिला प्रशासन की ओर से आगामी तीन अक्टूबर तक समझौते को लेकर रिपोर्ट तैयार करने का वादा किया गया है। यदि तीन अक्टूबर तक प्रशासन की ओर से मामले में साकारात्मक कार्रवाई नहीं की जाती तो चार अक्टूबर से ग्रामीण परियोजना का निर्माण कार्य रोककर आंदोलन शुरु कर देंगे। साथ ग्रामीणों ने समझौते पर कार्रवाई होने तक जिला प्रशासन से किसी प्रकार की वार्ता करने से इंकार किया है, वहीं मंडल अध्यक्ष राजेंद्र हटवाल ने कहा कि जल्द ही भाजपा मंडल की बैठक आयोजित कर कार्यकर्ताओं से वार्ता कर निर्णय लिया जाएगा। इस मौके पर परियोजना प्रभावित नर्वदा देवी, मुकेश गैरोला, गुप्ता प्रसाद पंत, इंद्र प्रकाश पंत, भगवती प्रसाद हटवाल आदि मौजूद थे।

 

ग्रामीण की ये हैं मांगे

गांव के पौराणिक मठ-मंदिरों क संरक्षण।

बेल पत्र के वन का सरंक्षण।

ग्रामीणों को चारा पत्ती की व्यवस्था।

परियोजना में प्रभावितों को रोजगार व अन्य को 50 फीसदी कोटा तय करना।

हरसारी तोक का पूर्ण पुर्नवास।

तकनीकी प्रशिक्षितों को आवश्यक रुप से परियोजना में रोजगार।

जल, जंगल और जमीन का प्रशासन की ओर से सीमांकन।

विस्थापित तोकों में पथ प्रकाश की व्यवस्था।

विस्थापित गांवों के मिनी स्टेडियम का निर्माण।

स्थाई पेयजल व सिंचाई जल व्यवस्था।

रास्तों का पुनर्निर्माण।

सामुदायिक भवन निर्माण।

विधवा महिलाओं को पेंशन का लाभ।

मेधावी व गरीब छात्रों को छात्रवृति का लाभ।

हाट-दशवाणा नाम से ग्राम सभा का पुनर्गठन। 

विथापित ग्रामीणों के मुकदमें वापस लेंना।

विस्थापित ग्रामीणों को दो सौ यूनिट बिजली मुफ्त दिये जाने का प्रावधान।

सभी मांगों के निराकरण के लिये संयुक्त कमेटी का गठन।

 

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