गोपेश्वर (चमोली)। बदरीनाथ के विधायक राजेंद्र सिंह भंडारी ने चिपको आंदोलन के पुरोधा आलम सिंह बिष्ट की मूर्ति का पैतृक गांव खल्ला में अनावरण किया। इस दौरान भंडारी ने कहा कि जन सरोकारों के संघर्ष में ही उन्होने अपना जीवन खपाया था।

मंडल घाटी के खल्ला गांव में चिपको आंदोलन के पुरोधा आलम सिंह बिष्ट की मूर्ति का शनिवार को एक समारोह में विधायक भंडारी ने अनावरण किया। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि जन सरोकारों से जुड़े मसलों को लेकर वह हमेशा समर्पित रहे। प्राकृतिक संसाधनों की लूट के खिलाफ वह जीवन भर लड़ते रहे। चिपको आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हुए उन्होने साइमन कंपनी के हाथों जंगल को कटने से रोकने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। चिपको आंदोलन के प्रणेता चंडी प्रसाद भट्ट के साथ मिल कर उन्होने इस आंदोलन के लिए अपने को समर्पित किए रखा। 24 अप्रैल 1973 को मंडल में चिपको आंदोलन की पहली बैठक की अध्यक्षता कर तब उन्होने जंगल न कटने देने के लिए खून से हस्ताक्षरों युक्त संकल्प पत्र भरा था। उन्होने कहा कि ग्रामीण विकास की अवधारणा को साकार करने में उनका महत्वपूर्ण योगदान रहा और जड़ी बूटी शोध संस्थान के सृजन में भी उनका उल्लेखनीय योगदान हमेशा याद रखा जाएगा। उन्होंने कहा कि उनकी मूर्ति स्थापित होने से वह हमेशा लोगों के दिलों में बसे रहेंगे। इस दौरान सीपी भट्ट पर्यावरण एवं विकास केंद्र के विनय सेमवाल दिवंगत आलम सिंह बिष्ट के जीवन संघर्ष पर विस्तार से रोशनी डाली। मंगला कोठियाल, सर्वोदयी नेता मुरारी लाल, खल्ला के प्रधान अरविंद बिष्ट, मंडल के प्रधान पुष्कर बिष्ट, बीडीसी मेंबर राजेंद्र सिंह बिष्ट, गोविंद सजवाण, योगेंद्र बिष्ट, महिला मंगल दल अध्यक्ष रेखा देवी, दिवंगत आलम सिंह की पुत्रवधू उमा बिष्ट, महाबीर सिंह बिष्ट, वन पंचायत सरपंच गोविंद सिंह बिष्ट, पंडित भगवती प्रसाद त्रिपाठी, केशव प्रसाद त्रिपाठी आदि मौजूद थे।

 

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